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15 जुलाई, 2010

रुपए की धाक


अब रुपए को भी मिला उसका चेहरा

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आईआईटी मुंबई के शोध छात्र डी उदय कुमार के डिजाइन को रुपए के प्रतीक के रूप में चुन लिया है. केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी ने गुरुवार को हुई कैबिनेट की बैठक के बाद इसकी जानकारी दी। रुपए का प्रतीक बनाने के लिए रिज़र्व बैंक आफ़ इंडिया ने लोगों से डिजाइन आमंत्रित किया था.इसके लिए रिज़र्व बैंक ने ढाई लाख रुपए का ईनाम देने की घोषणा की थी.

रुपए की धाक

देश भर से क़रीब तीन हज़ार लोगों ने रुपए के प्रतीक का डिजाइन बनाकर भेजा था.रिज़र्व बैंक के डिप्टी गवर्नर की अध्यक्षता वाली एक ज्यूरी ने इन तीन हज़ार प्रतीकों में से आखिर में पाँच को चुना. इन्ही पांच में एक डिजाइन को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी। इसके साथ ही रूपया दुनिया के उन गिने-चुने देशों में शामिल हो गया है जिनकी मुद्रा का अपना प्रतीक है। अंबिका सोनी ने बताया कि अब इसे देश और देश के बाहर लोग और संस्थाएँ इसका उपयोग कर सकती हैं. ,डी उदय कुमार ने संवाददाताओं से कहा,''रुपए के लिए मेरा डिजाइन चुना गया है. मैं बहुत खुश हूं लेकिन ख़ुशी जताने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं.उन्होंने कहा कि यह उनके लिए बड़े सम्मान की बात है.
रुपए के प्रतीक की व्याख्या करते हुए उन्होंने बताया कि यह देवनागरी लिपि का अक्षर 'र' है। उन्होंने बताया कि रुपए का प्रतीक रोमन लिपि के बड़े 'आर' की तरह भी दिखता है.उन्होंने कहा कि इस डिजाइन में भारत के तिरंगे झंडे को भी देखा जा सकता है.
अभी तक भारतीय रुपये को संक्षिप्त रूप (abbreviated form) में अंग्रेजी में Rs या Re या फिर INR के जरिए दर्शाया जाता है। नेपाल , पाकिस्तान और श्रीलंका में भी मुद्रा का नाम रुपया ही है। लेकिन दुनिया की प्रमुख मुद्राओं का संक्षिप्त रूप के अलावा एक प्रतीक चिन्ह भी है जैसे अमेरिकी डॉलर को USD कहते हैं और इसका प्रतीक चिह्न $ होता है। चि. डी उदय कुमार साधुवाद के पात्र है .रूपीए की पहचान के लिए यह बहुत ज़रूरी था.मुझे बहुत खुशी हुई .पूरे देशवासीयो को भी खुश होना चाहिए.

4 टिप्‍पणियां:

  1. बधाईयाँ जी बधाईयां
    रुपए को आज पहचान मिल गयी।
    उसका रुपीकरण हो गया।

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  2. दुनिया के बड़े देशों की मुद्राओं के सामने दो धेले का भी नहीं है, हमारा रुपया| आज एक डॉलर और एक दौरो के सामने एक रुपया का क्या भाव है, आप खुद ही जान सकते हैं|

    और तो और, अगर सरकार रुपए को पहचान दिलाना ही चाहती है, तो उसे मज़बूत करे, अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में परिवर्तनशील करे, तो कुछ बात समझ में आती है|

    आज एक नहीं एक हज़ार रुपए लेकर देश से बाहर कहीं भी चले जाए, उसे आप बादल नहीं सकते| लोग जानते ही नहीं हैं, तो रुपए के बदले कहीं की भी स्थानीय मुद्रा नहीं देंगे|

    बाकी सरकार ने झुनझुना दे दिया है, बजाते रहिए|

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