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01 जुलाई, 2010

दिन है सुहाना आज पहली तारीख है

फिल्म पहली तारीख का यह गीत आज भी प्रासंगिक तो है ही साथ ही साथ लोकप्रिय भी है । वर्षो बाद भी आज यह गीत लोगो के जुबान में है। धन्य हो रेडियो सिलोन का जिसने हर महीने की पहली तारीख को सुबह 7:30 बजे इस गीत के प्रसारण की परम्परा डाल रखी है । 40 वर्षो से तो मैं स्वयं सुन रहा हूँ । आधुनिक युग में पहली तारीख का क्या महत्व है उसे इस गीत में बखूबी चित्रण किया गया है । इस गीत में आम आदमी की भावना तथा उसकी दशा का वर्णन किया गया है। विशेष कर निम्न मध्यम आय वर्ग के लोगो के दिल की बात को इस गीत में लिखा गया है । गीत के गायक किशोर कुमार धन्यवाद के पात्र है । दरअसल पुरानी फिल्मो के गीतो मे बोल व लय का पूरा समन्वय होता था । आज के फिल्मी गीतो में वो बात कहां ? पुराने जमाने की फिल्में मनोरंजक एवं ज्ञानवर्धक होती थी उसमे गीतों का बड़ा महत्व था । वर्तमान समय में फिल्मी गीतो का तो बूरा हाल है। आज के फिल्मी गीतों में पाश्चात्य संगीत हावी है , गीतो में न लय है न मिठास । यही कारण है कि कोई भी हिट से हिट गीत 6 माह में लोगों के जेहन से उतर जाता है । जबकि पुराने गीतों के बोल वर्षो बाद भी लोगो के जुबां मे है । आज घड़ी ने जैसे ही पहली तारीख का संकेत दिया बरबस ही इस गीत की याद आ गई । मै पुराना रेडियो श्रोता हूँ इस नाते आल इंडिया ओल्ड लिसनर्स ग्रुप, छत्तीसगढ़ रडियो श्रोता संघ, अहिंसा रेडियो श्रोता संघ तथा आकांक्षा रेडियो श्रोता संघ से जुड़ा हूँ । ये बातें पूर्व पोस्ट में जल्दबाजी के कारण छुट गई थी अतः पोस्ट संपादित कर रहा हूँ .। पढ़ कर आप भी अतीत में खो जायेंगें ।
दिन है सुहाना आज पहली तारीख है


दिन है सुहाना आज पहली तारीख है

खुश है ज़माना आज पहली तारीख है
पहली तारीख अजी पहली तारीख है
बीवी बोली घर ज़रा जल्दी से आना,
जल्दी से आना
शाम को पियाजी हमें सिनेमा दिखाना,
हमें सिनेमा दिखाना
करो ना बहाना हाँ बहाना बहाना करो ना बहाना
आज पहली तारीख है
खुश है ज़माना आज पहली तारीख है
पहली तारीख अजी पहली तारीख ह
किस ने पुकारा रुक गया बाबु
लालाजी की जाँ आज आया है काबू
आया है काबू ओ पैसा ज़रा लाना लाना लाना ओ पैसा ज़रा लाना
आज पहली तारीख है
खुश है ज़माना आज पहली तारीख है
पहली तारीख अजी पहली तारीख ह

बंदा बेकार है क़िसमत की मार है

सब दिन एक है रोज़ ऐतबार है

मुझे ना सुनाना हाँ सुनाना सुनाना

मुझे ना सुनाना आज पहली तारीख है
खुश है ज़माना आज पहली तारीख है
पहली तारीख अजी पहली तारीख है

दफ़्तर के सामने आए मेहमान हैं

बड़े ही शरीफ़ हैं पुराने मेहरबान हैं

अरे जेब को बचाना बचाना बचाना
जेब को बचाना आज पहली तारीख है
खुश है ज़माना आज पहली तारीख है
पहली तारीख अजी पहली तारीख है



14 टिप्‍पणियां:

  1. स्कूल भी खुल गए हैं भाई साब
    आज पहली तारीख है
    आज पहली तारीख है।

    आपने किशोर कुमार के गीत से
    बीते दिनों की याद दिला दी।

    बहुत बढिया
    आभार

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  2. पहली तारीख बहुसंख्‍यक निम्‍नमध्‍यमवर्ग के लिए खुशी का दिन होता है. इस गीत की लोकप्रियता ही इस बात को सिद्ध करती है.

    आपके व्‍यक्तित्‍व के अनुरूप हम इस ब्‍लॉग में प्रकाशित हर पोस्‍ट को आपके विचार के रूप में स्‍वीकार कर रहे हैं. छत्‍तीसगढ़ के बड़े राजनीतिज्ञों में अमित जोगी के बाद आपने नियमित पोस्‍टों के साथ ब्‍लॉग प्‍लेटफार्म को अपनाया है इस बात की हमें खुशी है. हैप्‍पी ब्‍लॉगिंग.

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  3. मुह मीठा है कराना ..आज ..पहली तारीख ..

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  7. मजा आ गया भाई साहब।
    हर पहली तारीख को यह गाना रेडियो से तो बजा करता ही था। आपने याद ताजा कर दी। आपका आभार.

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  8. vaah...sundar geet ko pahali taareekh par hi yaad kiya . achchha lagaa. lage raho bhai, is nai duniyaa mey.

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  9. are kya baat hai bajaj saheb, itna samay mil jata hai aapko ki ye sab sun sakein aur yaha sunwa sakein........
    strange... matlab ki aashcharya... ghor aashcharya...

    maan gaye aapke managment ko, jis bhi bande ko aapne blog ke liye appoint kiya hai, sahi kaam kar raha hai boss. no doubt..
    gudluck...

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  10. यह गीत रेडियो सीलोन पर बरसों-बरस सुबह साढ़े सात बजे हर पहली तारीख को बजता था और उसके बाद प्रतिदिन आठ बजे सहगल के साथ पूरा होता था. उस दौर के ज्‍यादातर लोगों को पहली तारीख शब्‍द के साथ शायद यही मनभावन गीत याद आता है. धन्‍यवाद

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  11. नेता बनने के बाद भी अपने अंदर के आदमी को बचाए रखना बड़ी बात लगती , मेरे को ।
    बधाई भाई जी , बधाई ।

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