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12 अक्टूबर 2011

सूरज में आग है , चाँद में भी दाग है ,

ज  शरद पूर्णिमा की रात है  , आसमान साफ होने के कारण पूर्णिमा की चन्द्रमा का सुहावना दर्शन हो रहा है . कहते है की आज की रात चन्द्रमा की  किरणों से अमृत की बूंदें टपकती है . कोई कैसे इस सुनहरे अवसर को चुकोना चाहेगा अतः सबने आसमान के नीचे छींकें में खीर का कटोरा टांग रखा है . 
  
हिन्दू मान्यता  के अनुसार इसी दिन चन्द्र अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है. कुछ क्षेत्रों में इस व्रत को कौमुदी व्रत भी कहा जाता है. यह भी  मान्यता  है कि इस दिन भगवान श्री कृ्ष्ण ने गोपियों के साथ महारास रचा था.इस दिन चन्द्रमा कि किरणों से अमृत वर्षा होने की मान्यता प्रसिद्ध है. इस दिन एरावत पर आरूढ़ हुए  इन्द्र व महालक्ष्मी का पूजन किया जाता है. इससे  लक्ष्मी और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है.

  सूरज  में आग है  , चाँद में भी दाग है ,
फिर भी सागर को दोनों से अनुराग है .

शरद पूर्णिमा की शुभकामनाएं !
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10 टिप्‍पणियां:

संगीता पुरी ने कहा…

आपको भी शरद पूर्णिमा की शुभकामनाएं !!

Gyan Darpan ने कहा…

आपको भी शरद पूर्णिमा की बहुत बहुत शुभकामनाएं

BS Pabla ने कहा…

शरद पूर्णिमा की शुभकामनाएं आपको भी

खीर तो हमने भी खाई लेकिन आसमान से बरसते प्रदूषण से बचा कर :-)

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

शरदपूर्णिमा की खीर भुलाये नहीं भूलती है।

vandana gupta ने कहा…

आपको भी शरद पूर्णिमा की शुभकामनाएं !

रवीन्द्र प्रभात ने कहा…

शरद पूर्णिमा की शुभकामनाएं !!

PRAMOD KUMAR ने कहा…

आपको भी शरद पूर्णिमा की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं..........!

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ ने कहा…

क्या बात है! वाह! बहुत सुन्दर प्रस्तुति बधाई

Swarajya karun ने कहा…

शरद पूर्णिमा की चाँदनी में
धुएँ से धूमिल शहरी आकाश के नीचे
खीर खाना आज टेढी खीर है ,
साफ़ -सुथरे पर्यावरण वाले
गाँवों की अच्छी तकदीर है !
शरद पूर्णिमा की आपने लगाई
सचमुच बहुत खूबसूरत तस्वीर है !
ऐसा नजारा तो केवल
गाँवों में दिखेगा ,
क्या शहर उससे कुछ सीखेगा ?
बधाई और शुभकामनाएं !

ASHOK BAJAJ ने कहा…

@ Swarajya karun,

गजब की काव्यमय टिप्पणी , आभार !