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27 अगस्त 2011

एक आन्दोलन जिसने देश में भावनात्मक एकता कायम की


एक तीर से कई निशान

न्ना हजारे ने भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग क्या छेड़ा पूरा भारत उनके पीछे खड़ा हो गया . देश में भ्रष्टाचार के अलावा और कई  ज्वलंत मुद्दे  है जिससे देश  की आत्मा बेचैन है जैसे आतंकवाद , नक्सलवाद , महंगाई , सूखा , बाढ़    इत्यादि . इसके अलावा अनेक भावनात्मक मुद्दे भी है जैसे  संप्रदायवाद ,जातिवाद ,अलगाववाद ,  भाषावाद  एवं क्षेत्रवाद  जिससे पूरा देश बंटा हुआ प्रतीत होता है . छद्म राजनीति के कारण दिनोंदिन ये समस्या और गहरी होती जा रही है . अनेक राजनीतिज्ञों एवं राजनीतिक दलों ने  अपने फायदे के लिए समय-समय पर इन मुद्दों को उभार कर देश की समस्या बढाई ही है . पहले यह माना जाता था कि अशिक्षा एवं अज्ञानता के कारण ये समस्या उत्पन्न होती है लेकिन अब तो औसत आदमी शिक्षित हो गया है , शिक्षा की लौ  लगभग हर घर के आँगन तक पहुँच चुकी है  . लोग साक्षर ना भी हो लेकिन रेडियो , टी.व्ही. और अन्य संचार माध्यमों से तो ज्ञान  प्राप्त कर ही रहें है फिर भी देश में  संप्रदायवाद ,जातिवाद ,अलगाववाद , भाषावाद , एवं क्षेत्रवाद  की समस्या दिनोंदिन बढ़ती ही जा रही है . 


अन्ना हजारे के आन्दोलन ने एक तीर से कई निशान मारे है ; यह आन्दोलन जन लोकपाल बिल संसद में पास कराने व भ्रष्टाचार  समाप्त करने में सफल हो या ना हो लेकिन देश की जनता को एक सूत्र में बांधने में जरुर सफल हुआ है . कश्मीर से कन्याकुमारी तक  तथा असम से गोहाटी तक आज जन ज्वार उबल रहा है . बच्चे , बूढ़े ,जवान यहाँ तक कि महिलाएं भी स्व-स्फूर्त इस आन्दोलन का हिस्सा बन चुकीं है . धर्म-संप्रदाय , जात-पात , वर्ग भेद को भुला कर समूचा देश इस आन्दोलन में जुड़ गया है . इस आन्दोलन ने देश में भावनात्मक एकता कायम करने का मिशाल कायम किया है . यह भावनात्मक एकता देश की मूल संस्कृति है तथा देश की अमूल्य निधि भी  . इसे केवल एक समस्या विशेष के निदान तक सीमित रखने के बजाय इसे स्थाईत्व प्रदान करने की जरुरत है . यदि हम इसे स्थिर रखने में सफल हो गए तो देश की अनेक समस्याओं से हमें स्वतः निज़ात मिल जायेगी .  

7 टिप्‍पणियां:

Rahul Singh ने कहा…

अन्‍ना हजारे ने कहा कि देश में जनतंत्र की हत्‍या की जा रही है और भ्रष्‍ट सरकार की बलि ली जाएगी। यानि खून के बदले खून?

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') ने कहा…

सच कहा भईया आपने...
सादर...

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

आज़ादी के बाद पहला कोई मुद्दा है जिसने सम्पूर्ण भारत को एक सूत्र में बांध दिया है.

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

अपने देश पर अभिमान होने लगे सबको।

PRAMOD KUMAR ने कहा…

वास्तव में भ्रष्टाचार से आज समाज के हर वर्ग के लोग पीड़ित हैं। इसी कारण से अन्ना हजारे द्वारा जन लोकपाल बिल के समर्थन और भ्रष्टाचार के खिलाफ छेड़े गये जंग में सारे देशवासी भावनात्मक रूप से जुड़कर राष्ट्ीय एकता की मिशाल कायम की है। लोकनायक जयप्रकाश नारायण एवं राष्ट्पिता महात्मा गांधी के बाद अन्ना हजारे ही ऐसे व्यक्तित्व हैं जिन्होंने किसी ज्वलंत राष्ट्ीय मुद्दे पर सारे देशवासियों को - जाति, धर्म, भाषा, क्षेत्र, लिंग आदि भेदभाव से उपर उठकर जनचेतना जागृत कर, आंदोलित कर एक सूत्र में पिरो दिया है।

Girish Billore Mukul ने कहा…

sahe hai
prabhavee alekh

Swarajya karun ने कहा…

देश की तमाम समस्याओं की जड़ है-भ्रष्टाचार,लेकिन उससे भी गंभीर समस्या है राष्ट्रीय चरित्र का अभाव. क्या अन्ना जी का जन-लोकपाल इस अभाव को दूर कर पाएगा ? भ्रष्टाचार से त्रस्त जनता को अन्ना जी के अनोखे,अहिंसक और ऐतिहासिक जन-आंदोलन ने कुछ दिनों तक एकजुट तो किया, लेकिन यह एकता क्या राष्ट्रीय-चरित्र के विकास में सहायक होगी ? जनता की स्मरण शक्ति कमजोर होती है. बड़े-बड़े हादसे और बड़े-बड़े घपले-घोटाले भूला दिए जाते हैं. अब कहाँ होती है बोफोर्स और चारे की चर्चा ? साल भर भी नहीं हुआ और कॉमन-वेल्थ और टू-जी स्पेक्ट्रम को भी हम भूलते जा रहे हैं.ऐसा क्यों ? बहरहाल ,आपका सम-सामयिक आलेख पढकर मेरे दिल में सवाल के रूप में यह ख़याल आया.