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29 अक्टूबर 2010

कोर्ट की ललकार : जागो सरकार

अनाज सड़ाने या फेंकने के बजाय गरीबों में बांटों : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने एक बार केंद्र से कहा कि अतिरिक्त अनाज फौरन देश में भूखे और गरीबी रेखा से नीचे जीने वाले परिवारों को दिया जाए। कोर्ट ने कहा कि अनाज को गोदामों में सड़ने, समुद्र में फेंकने या चूहों को खाने नहीं दिया जा सकता।

 फोटो साभार गूगल
    जस्टिस दलवीर भंडारी और जस्टिस दीपक वर्मा की बेंच ने अटॉर्नी जनरल से अपना नजरिया बताने को कहा और अडिशनल सॉलीसिटर जनरल मोहन परासरण से कहा कि बिना अमल में लाए योजनाओं का कोई मतलब नहीं है। परासरण ने इस मामले में स्थगन की मांग की थी। बेंच ने कहा, 9 साल से भी पहले (20 अगस्त 2001 को) इस कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि गोदामों, खासतौर पर एफसीआई गोदामों में क्षमता से अधिक खाद्यान्न हैं और अधिक मात्रा में होने से इन्हें समुद्र में फेंकने या चूहों के लिए खाने के लिए नहीं छोड़ना चाहिए

बेंच ने कहा, 'अमल में न लाए और योजनाएं मनाते रहें, इससे कुछ नहीं होगा। जरूरी यह है कि भूखों को भोजन मिलना चाहिए।' बेंच ने कहा, 'खाद्य सुरक्षा और किसानों के हितों की रक्षा के लिए पर्याप्त अनाज की खरीदी जरूरी है। हमारी चिंता यह है कि खरीदे गए अनाज को सही तरह से रखा जाए। भंडारण क्षमता की कमी के चलते खाद्यान्नों की जितनी मात्रा को नहीं रखा जा सकता, कम से कम इस अनाज को बीपीएल परिवारों तक तत्काल पहुंचाया जाए।'

इस मामले याचिका दायर करने वाले संगठन पीयूसीएल के अनुसार करीब 7करोड़ बीपीएल परिवार अब जुड़ गए हैं और उन्हें पीडीएस से वंचित रखा गया। बेंच ने अटॉर्नी जनरल से कहा कि बताएं कि 1991  के जनगणना के आंकड़ों को मानने के बजाया ताजा आंकड़ों के मुताबिक आवंटन क्यों नहीं किया जाए  ?  सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई को आगे बढ़ाते हुए केंद से यह भी कहा कि पीयूसीएल की इस दलील की पड़ताल की जाए कि देश में 150  गरीब जिलों को भी बीपीएल जनसंख्या की तर्ज पर अनाज आवंटित किया जाना चाहिए।

बेंच ने पहले भी केंद्र सरकार से कहा था कि अनाज को गरीबों में मुफ्त बांटा जाए लेकिन केंद्र ने तब कोई कदम नहीं उठाया और कृषि मंत्री शरद पवार ने कहा कि यह केवल एक सुझाव है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट को कहना पड़ा था कि गरीबों को अनाज मुफ्त में देने के लिए हमने कोई सुझाव नहीं दिया था बल्कि यह एक आदेश था। बाद में प्रधानमंत्री ने इस मुद्दे पर कहा था कि अदालतों को नीतिगत मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। 00290

14 टिप्‍पणियां:

मनोज कुमार ने कहा…

ये बहुत अच्छी बात है। अतिरिक्त अनाज फौरन देश में भूखे और गरीबी रेखा से नीचे जीने वाले परिवारों को दिया जाए।बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
मनोज पर फ़ुरसत में...भ्रष्‍टाचार पर बतिया ही लूँ !

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

Bahut sahi baat....Anaj sadane ke liye nahin hai jabki desh me kai logon ko do waqt ka khana bhi nahin mil pa raha hai...

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

दाने दाने पर लिखा था खाने वाले का नाम,
पर कभी सुना नहीं उसे सड़ाने वाले का नाम।

सुधीर राघव ने कहा…

ये लोग बांटेंगे भी तो भूखों के नाम पर अमीरों के गोदाम में ही जाएगा, बाजार में बिकेगा। बीपीएल कार्ड वालों की किसी भी जगह की लिस्ट का जायजा ले लीजिए सब असलीयत सामने आ जाएगी।

सुधीर राघव ने कहा…

ये लोग बांटेंगे भी तो भूखों के नाम पर अमीरों के गोदाम में ही जाएगा, बाजार में बिकेगा। बीपीएल कार्ड वालों की किसी भी जगह की लिस्ट का जायजा ले लीजिए सब असलीयत सामने आ जाएगी।

सुधीर राघव ने कहा…

ये लोग बांटेंगे भी तो भूखों के नाम पर अमीरों के गोदाम में ही जाएगा, बाजार में बिकेगा। बीपीएल कार्ड वालों की किसी भी जगह की लिस्ट का जायजा ले लीजिए सब असलीयत सामने आ जाएगी।

Rahul Singh ने कहा…

नियति की भूख और नीति के कारण भूख, ध्‍यान रहना ही चाहिए.(कृपया फॉन्‍ट का आकार थोड़ा बढ़ा दें, पढ़ने में आसानी होगी.)

ASHOK BAJAJ ने कहा…

@ श्री राहुल सिंह जी ,
फोन्ट का आकार बढ़ा दिया हूँ , ध्यानाकर्षण के लिए धन्यवाद .

कुमार राधारमण ने कहा…

इस बुनियादी समझ के लिए कोर्ट के हस्तक्षेप की नौबत नहीं आनी चाहिए थी।

honesty project democracy ने कहा…

इस अनाज के सरने से दुर्गन्ध पैदा होता है उससे शरद पवार,मनमोहन सिंह और सोनिया गाँधी जैसे लोग जिन्दा रहतें हैं और इंसानियत बिकती और मरती है ...शर्मनाक है की ऐसे दुर्गंधों पे जीने वाले कोग इस देश के भाग्य विधाता हैं ऐसे में बुनियादी समझ के लिए इक्के दुक्के इमानदार लोगों द्वारा असफल ही सही प्रयास तो होता ही रहेगा ...बेशर्म लोगों पे कोई असर नहीं होगा ये तो तय है ...लेकिन जिसतरह बेशर्म अपनी बेशर्मी नहीं छोड़ सकता उसी तरह अच्छे लोग इंसानियत और ईमानदारी नहीं छोड़ सकते ...

राज भाटिय़ा ने कहा…

हमारे इमान दार मन मोहन जी के राज मे तो राम राज हे जी, अमीर इसी इमान दारी से अमीर हो रहा हे, गरीब भी ईमान दारी से भुखा मर रहा हे, वेसे यह आनाज खराब कहा जायेगा, अजी इस की बियर बनेगी जो इस सडे आनाज से भी ज्यादा मंहगी बिकेगी, फ़िर वल्ले वल्ले इन नेताओ की हम जेसे जाये भाड मे

ASHOK BAJAJ ने कहा…

@ श्री राज भाटिय़ा जी ,

क्या कहा ? बीयर बनेगी जो इस सडे आनाज से भी ज्यादा मंहगी बिकेगी . आपकी बात तो समझ में आती तो है लेकिन सरकार की प्राथमिकता क्या होनी चाहिए ? लोगों को बीयर उपलब्ध करना या गरीबों को राहत देना ?

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

अब भी जाग जाए तो गनीमत है।

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Unknown ने कहा…

इनको इससे क्या मतलब...एक दिन एक गरीब के घर राहुल गाँधी..खाना खाते हैं तो पूरा देश जान जाता है...लेकिन यहाँ हजारों लोग भूखे हैं...और अनाज सड़ रहा है...अजीब सा लगता है...४ दिन भूखे रह लें फिर कीमत समझ में आ जाएगी...