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16 अक्टूबर 2010

रावण की लंका में, रहना नहीं है ;




रावण की लंका में,
रहना नहीं है ;
रावण की तरह ,
मरना नहीं है ;
अहंकार के सागर में ,
बहना नहीं है ;
है तो सोने की लंका मगर ,
जहाँ भाईचारे का गहना नहीं है ;
रावण की लंका में,
रहना नहीं है ;
राम का देश बड़ा प्यारा है ,
जहाँ किसी से हमें डरना नहीं है ;

विजयादशमी की आप सबको बहुत बहुत बधाई !! 

9 टिप्‍पणियां:

कडुवासच ने कहा…

... बहुत सुन्दर ... बेहतरीन अभिव्यक्ति!

Swarajya karun ने कहा…

बहुत अच्छी भावनाएं . बेहतरीन अभिव्यक्ति के लिए बधाई और विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएं .

विजय तिवारी " किसलय " ने कहा…

अहंकार के सागर में ,
बहाना नहीं है ;
है तो सोने की लंका मगर ,
जहाँ भाईचारे का गहना नहीं है ;
अच्छी रचना है
- विजय तिवारी 'किसलय'
जबलपुर

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…


सुंदर अभि्व्यक्ति के साथ
विजयादशमी पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं


दशहरा में चलें गाँव की ओर-प्यासा पनघट

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') ने कहा…

भईया बेहतरीन अभिव्यक्ति के लिए आपको साधुवाद. साथ ही आपको एवं आपके परिवार, इष्ट मित्रो सहित समस्त सम्माननीय पाठकों को विजयोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं.
यह भी पढ़ें: "रावन रहित हो हर ह्रदय" http://smhabib1408.blogspot.com/

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

निर्भयता हो जन जन में

cgswar ने कहा…

इतने जरा से शब्‍दों में सारी भावनाओं को व्‍यक्‍त करना...बधाई अशोक जी. राम के इस प्‍यारे देश में विजयदशमी पर्व पर हमारी तो है बस यही कामना कि हर देशवासी विजयी हो अच्‍छे कर्मों में.

girish pankaj ने कहा…

vaah....kavita bhi karane lage...? badhai. blog isi tarah bheetar ke shabd-shilpi ko sakriy rakhe.

अजय कुमार झा ने कहा…

आज के दिन के लिए सर्वथा उपयुक्त और सार्थक अशोक जी ।