 आपको याद होगा कि पाकिस्तान की सेना और कश्मीरी उग्रवादियों ने मई और जुलाई   1999 के मध्य भारत और पाकिस्तान के बीच की नियंत्रण  रेखा पार करके भारत की  ज़मीन पर कब्ज़ा करने की कोशिश की थी । पाकिस्तान ने दावा  किया था  कि  लड़ने वाले सभी कश्मीरी उग्रवादी हैं, लेकिन युद्ध में बरामद हुए   दस्तावेज़ों और पाकिस्तानी नेताओं के बयानों से साबित हुआ कि पाकिस्तान की  सेना  प्रत्यक्ष रूप में इस युद्ध में शामिल थी।  करगिल युद्ध के दौरान  और उसके बाद भी पाकिस्तान कहता  रहा  कि इस लड़ाई में उसका कोई सैनिक शामिल नहीं था। भारतीय सेना ने  पाकिस्तानी सेना के कई सर्विंग जवानों को पकड़ा था , लेकिन इसके बावजूद  पाकिस्तान यही राग अलापता रहा कि इस  युद्ध में उसका कोई हाथ नहीं  है.
        आपको याद होगा कि पाकिस्तान की सेना और कश्मीरी उग्रवादियों ने मई और जुलाई   1999 के मध्य भारत और पाकिस्तान के बीच की नियंत्रण  रेखा पार करके भारत की  ज़मीन पर कब्ज़ा करने की कोशिश की थी । पाकिस्तान ने दावा  किया था  कि  लड़ने वाले सभी कश्मीरी उग्रवादी हैं, लेकिन युद्ध में बरामद हुए   दस्तावेज़ों और पाकिस्तानी नेताओं के बयानों से साबित हुआ कि पाकिस्तान की  सेना  प्रत्यक्ष रूप में इस युद्ध में शामिल थी।  करगिल युद्ध के दौरान  और उसके बाद भी पाकिस्तान कहता  रहा  कि इस लड़ाई में उसका कोई सैनिक शामिल नहीं था। भारतीय सेना ने  पाकिस्तानी सेना के कई सर्विंग जवानों को पकड़ा था , लेकिन इसके बावजूद  पाकिस्तान यही राग अलापता रहा कि इस  युद्ध में उसका कोई हाथ नहीं  है.युद्ध के 11 साल बाद पाकिस्तानी आर्मी ने अपने वेब साईट के माध्यम से करगिल युद्ध में एक तरह से अपनी भूमिका स्वीकार करते हुए इस दौरान मारे गए अपने 453 सैनिकों को शहीद करार दिया है. अब तक पाकिस्तान करगिल युद्ध में अपनी किसी तरह की भूमिका से इनकार करता रहा है। युद्ध के 11 साल बाद उसने वेबसाइट पर बताया है कि ये सैनिक कहां और क्यों मारे गए।
               ये 453 सैनिक बटालिक-करगिल सेक्टर में मारे गए थे। सैनिकों की इस फेहरिस्त के पहले  पेज पर कैप्टन कर्नल शेर और हवलदार ललक जान के नाम हैं। दोनों 7 जुलाई 1999 को  करगिल में मारे गए थे। पाकिस्तान के सबसे बड़े सैन्य सम्मान 'निशान-ए-हैदर' से  उन्हें नवाजा गया था। कई अन्य सैनिकों को भी मरणोपरांत तमगा-ए-जुर्रत जैसे  पुरस्कारों से नवाजा गया था। करगिल में मारे गए ज्यादातर जवान नॉर्दर्न लाइट  इन्फैंट्री के थे। यह अब पाकिस्तानी आर्मी का रेग्युलर रेजिमेंट है। पहले यह  अर्धसैनिक बल था। 
             पाकिस्तानी सेना ने वेबसाइट पर अपने करगिल सैन्य अभियान का नाम भी उजागर किया है।  बताया है कि ऑपरेशन 'खोह-ए-पैमा' के तहत नियंत्रण रेखा के पार भारतीय सरजमीं के  सामरिक महत्व के पहाड़ों और चोटियों पर कब्जा किया गया था। इसे 'ऑपरेशन करगिल' भी  बताया गया है। सैनिकों की मौत की वजहें अलग-अलग बताई गई हैं। इनमें 'कार्रवाई के  दौरान मौत', 'दुश्मन की कार्रवाई', 'दुश्मन की फायरिंग', 'दुश्मन की आर्टिलरी की  गोलाबारी' और 'सड़क दुर्घटना' जैसी वजहें प्रमुख हैं। मारे गए सैनिकों का नाम,  रैंक, यूनिट, मौत की जगह और मौत की वजह भी बताई गई है। 
- अशोक बजाज
- अशोक बजाज
 







