15 अप्रैल 2014
14 अप्रैल 2014
बैसाखी पर्व का धार्मिक महत्त्व
 बैसाखी नए साल के आगमन से जुड़ा है और तो इसका धार्मिक महत्व भी है। दसवें सिख गुरु गुरु गोबिन्द सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना इसी दिन की थी। बैसाखी दरअसल एक लोक पर्व है। फसल तैयार होने के उल्लास में यह पर्व और भी खास बन जाता है। सर्दियों के खत्म होने और गर्मी की शुरुआत के साथ ही लोगों का मन उल्लास से भर जाता है। ऐसे में इसे बदलते मौसम के जश्न के तौर पर भी देखा जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, गुरु गोबिन्द सिंह ने वैशाख माह की षष्ठी तिथि को खालसा पंथ की स्थापना की थी। सूर्य मेष राशि में अक्सर 13 या 14 अप्रैल को प्रवेश करता है, बैसाखी इन्हीं दोनों दिनों में से किसी एक दिन मनाई जाती है। सिखों के पहले गुरु बाबा नानक देव ने वैशाख माह को आध्यात्मिक साधना की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण बताया है।
बैसाखी नए साल के आगमन से जुड़ा है और तो इसका धार्मिक महत्व भी है। दसवें सिख गुरु गुरु गोबिन्द सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना इसी दिन की थी। बैसाखी दरअसल एक लोक पर्व है। फसल तैयार होने के उल्लास में यह पर्व और भी खास बन जाता है। सर्दियों के खत्म होने और गर्मी की शुरुआत के साथ ही लोगों का मन उल्लास से भर जाता है। ऐसे में इसे बदलते मौसम के जश्न के तौर पर भी देखा जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, गुरु गोबिन्द सिंह ने वैशाख माह की षष्ठी तिथि को खालसा पंथ की स्थापना की थी। सूर्य मेष राशि में अक्सर 13 या 14 अप्रैल को प्रवेश करता है, बैसाखी इन्हीं दोनों दिनों में से किसी एक दिन मनाई जाती है। सिखों के पहले गुरु बाबा नानक देव ने वैशाख माह को आध्यात्मिक साधना की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण बताया है।बैसाखी का भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भी खास स्थान है। रॉलेट एक्ट का विरोध करने के लिए बैसाखी के दिन 13 अप्रैल 1919 को जलियांवाला बाग में हजारों लोग इकट्ठा हुए थे। जनरल डायर ने निहत्थी भीड़ पर गोलियां बरसाई थीं, जिसमें हजारों लोग शहीद हुए थे। (नभाटा)
बैसाखी पर्व की आप सभी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ !
                                              - अशोक बजाज
13 अप्रैल 2014
महावीर जयंती की हार्दिक बधाई
08 अप्रैल 2014
रामनवमी की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ !
04 अप्रैल 2014
रेडियो रूस की फोटो प्रतियोगिता
विश्व रेडियो दिवस के अवसर पर छत्तीसगढ़ रेडियो श्रोता संघ द्वारा दिनांक 13.2.2014 आयोजित कार्यक्रम के फोटोग्राफ्स की चहुँ ओऱ सराहना हुई है. रेडियो रूस द्वारा आयोजित फोटो प्रतियोगिता में इसके लिए मुझे प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ है. वास्तव में यह पुरस्कार छत्तीसगढ़ के उन रेडियो श्रोताओं की कर्मठता का परिणाम है जो मुझे नित नए कार्यक्रम करने तथा इस क्षेत्र में सक्रिय रहने की प्रेरणा देते है. निश्चित रूप से इस पुरस्कार के लिए चयनित होने पर गदगद हूँ तथा रेडियो रूस (Voice of Russia) का आभारी हूँ .  
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