ग्राम चौपाल में आपका स्वागत है * * * * नशा हे ख़राब झन पीहू शराब * * * * जल है तो कल है * * * * स्वच्छता, समानता, सदभाव, स्वालंबन एवं समृद्धि की ओर बढ़ता समाज * * * * ग्राम चौपाल में आपका स्वागत है

03 दिसंबर 2018

प्रेरक वाक्य


जीवन में दो ही व्यक्ति असफल होते हैं, एक वे जो सोचते हैं पर करते नहीं, दूसरे जो करते हैं पर सोचते नहीं.
- आचार्य श्रीराम शर्मा



दुनिया का सबसे बड़ा नुकसान वो है कि किसी की आँखों में आंसू हमारी वजह से है और दुनिया की सबसे बड़ी उपलब्धि यही है कि किसी की आँखों में आंसू हमारे लिए है.



बहुत दूर तक जाना पड़ता है सिर्फ यह जानने के लिए कि नजदीक कौन है ?


एक साथ आना शुरुआत है; एक साथ रहना प्रगति है; एक साथ काम करना सफलता है. - हेनरी फोर्ड



फर्क होता है खुदा और फ़क़ीर में,
फर्क होता है किस्मत और लकीर में;
अगर कुछ चाहो और न मिले तो समझ लेना,
कि कुछ और अच्छा लिखा है तक़दीर में ।


सांप हो सपोला इन को कितना भी दूध पिलाओं ये "जहर" ही उगलते है जो इनके फितरत में है ! यह तो आप पर निर्भर करता है कि कब इसके दांत तोड़ने है और कब इसका फन कुचलना है !

जिन्दगी से आप जो भी बेहतर से बेहतर ले सको ले लो क्योंकि जिदगी जब लेना शुरू करती है तो सांसें भी नहीं छोड़ती .


तारों में अकेला चाँद जगमगाता है,
मुश्किलों में अकेला इंसान डगमगाता है.
काटों से घबराना मत मेरे दोस्त,
क्योंकि काटों में अकेला गुलाब मुस्कुराता है.   

(छत्तीसगढ़ी )
जुआ खेल के कोई धनवान नई बन सकय,
शराब पी के कोई बलवान नई बन सकय .
पढ़व लिखव अऊ सत्संग करव, काबर कि 
बिना पढ़े कोई विद्वान नई बन सकय.
"नशा हे ख़राब : झन पीहू शराब " 


चेहरे की हँसी से गम को भुला दो. कम बोलो पर सब कुछ बता दो.
..ख़ुद ना रूठो पर सबको हँसा दो यही राज है जिन्दगी का जियो और जीना सिखा दो.!!


मिलने पर मित्र का आदर करो, पीठ पीछे प्रशंसा करो और आवश्यकता के समय उसकी मदद करो।

जब तक तुममें दूसरों को व्यवस्था देने या दूसरों के अवगुण ढूंढने, दूसरों के दोष ही देखने की आदत मौजूद है, तब तक तुम्हारे लिए ईश्वर का साक्षात्कार करना कठिन है - स्वामी रामतीर्थ
                                                                                  
                                                                               

जब तुम्हें सब कुछ अपने विपरीत जाता हुआ लगे तो यह ध्यान कर लेना कि जहाज हवा के विरुद्ध ही आकाश में उड़ना शुरू करता है।

26 अगस्त 2018

रक्षाबंधन के अवसर पर सम-सामयिक सन्देश . . .

रक्षाबंधन के अवसर पर सम-सामयिक सन्देश . . .


हम बेटियाँ ईश्वर की वरदान होती है  
हम बेटियाँ तो नूर-ए-जहान होती है  
                         दुनिया की सबसे बड़ी खुशी है हम  
                                इसीलिए तो हर खुशी की खान होती है    

17 अगस्त 2018

राजनीतिक क्षितिज का एक चमकता सितारा अस्त हो गया

अटलजी और छत्तीसगढ़

वह दृश्य अभी भी ऑंखो से ओझल नहीं हो पाया है जब 31 अक्टूबर 2000 को घड़ी की सुई ने रात के 12 बजने का संकेत दिया तो चारो तरफ खुशी और उल्लास का वातावरण बन गया। लोग मस्ती में झूमते- नाचते एक दूसरे को बधाइयॉं दे रहे थे. प्रधानमंत्री माननीय अटल बिहारी वाजपेयी की चारों तरफ जय-जयकार हो रही थी. घर घर में दीपमल्लिका सजा कर रोशनी की गई थी. आतिश बाजी का नजारा देखते ही बनता था. पहली सरकार कांग्रेस की बननी थी सो कुर्सी के लिए उठापटक का दौर बंद कमरे में चल रहा था. लोग एक तरफ नए राज्य निर्माण की खुशी मना रहे थे तो दूसरी तरफ कौन बनेगा प्रथम मुख्यमंत्री इस जिज्ञाषा में अपना ध्यान राजनीतिक गलियारों की ओर लगायें थे.

राज्य का गठन करना कोई हंसी खेल तो था नहीं। कई वर्षो से लोग आवाज उठा रहे थे अनेक तरह से आंदोलन भी करते रहे लेकिन राज्य का निर्माण नहीं हो पाया था। इस बीच प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने सन 1998 में सप्रेशाला रायपुर के मैदान में एक अटल प्रतिज्ञा की, कि यदि आप लोकसभा की 11 में से 11 सीटो में भाजपा को जितायेंगे तो मैं तुन्हें छत्तीसगढ़ राज्य दूंगा। लोकसभा चुनाव का परिणाम आया। भाजपा को 11 में सें 8 सीटे मिली लेकिन केंद्र में अटल सरकार फिर से बनी। प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी ने अपनी प्रतिज्ञा के अनुरूप राज्य निर्माण के लिए पहले ही दिन से प्रक्रिया प्रारंभ कर दी। मध्यप्रदेश राज्य पुर्निर्माण विधेयक 2000 को 25 जुलाई 2000 में लोकसभा में पेश किया गया। इसी दिन बाकी दोनो राज्यो के विधेयक भी पेश हुए। 31 जुलाई 2000 को लोकसभा में और 9 अगस्त को राज्य सभा में छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के प्रस्ताव पर मुहर लगी। 25 अगस्त को राष्ट्रपति ने इसे मंदूरी दे दी। 4 सिंतबर 2000 को भारत सरकार के राजपत्र में प्रकाशन के बाद 1 नवंबर 2000 को छत्तीसगढ़ देश के 26 वें राज्य के रूप में अस्तित्व में आया और एक अटल-प्रतिज्ञा पूरी हुई।

छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के पहले हम मध्यप्रदेश में थे। मध्यप्रदेश का निर्माण सन 1956 में 1 नवम्बर को ही हुआ था। हम 1 नवम्बर 1956 से 31 अक्टूबर 2000 तक यानी 44 वर्षो तक मध्यप्रदेश के निवासी थे तब हमारी राजधानी भोपाल थी। इसके पूर्व वर्तमान छत्तीसगढ़ का हिस्सा सेन्ट्रल प्रोविंस एंड बेरार (सी.पी.एंड बेरार) में था तब हमारी राजधानी नागपुर थी। इस प्रकार हम सी.पी.एंड बेरार, तत्पश्चात मध्यप्रदेश और अब छत्तीसगढ़ के निवासी है। वर्तमान छत्तीसगढ़ में जिन लोगो का जन्म 1 नवम्बर 1956 को या इससे पूर्व हुआ वे तीन राज्यो में रहने का सुख प्राप्त कर चुके है।

परंतु छत्तीसगढ़ राज्य में रहने का अपना अलग ही सुख है। अगर हम भौतिक विकास की बात करे तो छत्तीसगढ़ कें संदर्भ में यह कहा जा सकता है कि हमने 18 वर्षो से लंबी छलांग लगाई है। मै यह बात इसीलिए लिख रहा हू क्योंकि हम 1 नवम्बर 2000 के पहले देश की मुख्य धारा से काफी अलग थे। गरीबी, बेकारी, भूखमरी, अराजकता और पिछड़ापन हमें विरासत में मिला। छत्तीसगढ़ इन अट्ठारह वर्षो में गरीबी, बेकारी, भुखमरी, अराजकता और पिछड़ापन के खिलाफ संघर्ष करके आज ऐसे मुकाम पर खड़ा है जहा देखकर अन्य विकासशील राज्यों का ईर्ष्या हो सकती है। इस नवोदित राज्य को पलायन व पिछड़ापन से मुक्ति पाने में 18 वर्ष लग गये। सरकार की जनकल्याणकारी याजनाओं से नगर, गांव व कस्बो की तकदीर व तस्वीर तेजी बदल रही है। छत्तीसगढ़ की मूल आत्मा गांव में बसी हुई है, सरकार के लिए गांवो का विकास एक बहुत बड़ी चुनौती थी लेकिन इस काल-खण्ड में विकास कार्यो के संपन्न हो जाने से गांव की नई तस्वीर उभरी है। गांव के किसानों को सिंचाई, बिजली, सड़क, पेयजल, शिक्षा व स्वास्थ जैसी मूलभूत सेवांए प्राथमिकता के आधार पर मुहैया कराई गई है। हमें याद है कि पहले गॉंवो में ग्राम पंचायते थी लेकिन पंचायत भवन नहीं थे, शालाएं थी लेकिन शाला भवन नही थे, सड़कें तो नही के बराबर थी, पेयजल की सुविधा भी नाजुक थी लेकिन आज गांव की तस्वीर बन चुकी है। विकास कार्यो के नाम पर पंचायत भवन, शाला भवन, आंगनबाड़ी भवन, मंगल भवन, सामुदायिक भवन, उपस्वास्थय केन्द्र, निर्मलाघाट, मुक्तिधाम जैसे अधोसरंचना के कार्य गांव-गांव में दृष्टिगोचर हो रहे है। अपवाद स्वरूप ही ऐसे गांव बचें होंगे जहॉं बारहमासी सड़को की सुविधा ना हो, गांवो की सड़को से जोड़ने से गांव व शहर की दूरी कम हुई है। यह कहने में गर्व महसूस होता है कि अनेक गंभीर चुनौतियों के बावजूद ग्रामीण विकास के मामले में छत्तीसगढ़ ने उल्लेखनीय प्रगति की है। अगर यह संभव हो पाया तो केवल इसीलिए कि माननीय अटलबिहारी वाजपेयी ने एक झटके में छत्तीसगढ़ का निर्माण किया, छत्तीसगढ़ की जनता उनका सदैव ऋणी रहेगी। आज वे हमारे बीच नहीं रहें लेकिन कतृत्व की प्रतिध्वनी हमेशा गुंजायमान होती रहेगी. अटलजी के रूप में विश्व की राजनीतिक क्षितिज का एक चमकता सितारा अस्त हो गया.