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12 जनवरी 2013

स्वामी विवेकानंद के दस घोष वाक्य

स्वामी विवेकानंद जी की 150वी जयन्ती पर उन्हें नमन करते हुए, प्रस्तुत है उनके दस घोष वाक्य.

                                              

1   उठो, जागो और तब तक रुको नहीं जब तक मंजिल प्राप्त न हो जाये.

2   तूफान मचा दो तमाम संसार हिल उठता; क्या करूँ धीरे-धीरे अग्रसर होना पड़ रहा है. तूफ़ान मचा दो तूफ़ान !

3   जब तक जीना, तब तक सीखना' -- अनुभव ही जगत में सर्वश्रेष्ठ शिक्षक है.

4   पवित्रता, दृढ़ता तथा उद्यम- ये तीनों गुण मैं एक साथ चाहता हूँ.

5   ज्ञान स्वयं में वर्तमान है, मनुष्य केवल उसका आविष्कार करता है.
 

6   जब कोई विचार अनन्य रूप से मस्तिष्क पर अधिकार कर लेता है तब वह वास्तविक भौतिक या मानसिक अवस्था में परिवर्तित हो जाता है.

7   आध्यात्मिक दृष्टि से विकसित हो चुकने पर धर्मसंघ में बने रहना अवांछनीय है; उससे बाहर निकलकर स्वाधीनता की मुक्त वायु में जीवन व्यतीत करो.
 

8   हमारी नैतिक प्रकृति जितनी उन्नत होती है, उतना ही उच्च हमारा प्रत्यक्ष अनुभव होता है, और उतनी ही हमारी इच्छा शक्ति अधिक बलवती होती है.

9   लोग तुम्हारी स्तुति करें या निन्दा, लक्ष्मी तुम्हारे ऊपर कृपालु हो या न हो, तुम्हारा देहान्त आज हो या एक युग मे, तुम न्यायपथ से कभी भ्रष्ट न हो.
 

10  तुम अपनी अंत:स्थ आत्मा को छोड़ किसी और के सामने सिर मत झुकाओ; जब तक तुम यह अनुभव नहीं करते कि तुम स्वयं देवों के देव हो, तब तक तुम मुक्त नहीं हो सकते.
                                                                                                                       

26 दिसंबर 2012

छत्तीसगढ़: एक अटल-प्रतिज्ञा जो पूरी हुई

पूर्व प्रधानमंत्री मान. अटल बिहारी वाजपेयी के 89 वें जन्मदिवस पर विशेष लेख

    ह दृश्य अभी भी ऑंखो से ओझल नहीं हो पाया है जब 31 अक्टूबर 2000 को घड़ी की सुई ने रात के 12 बजने का संकेत दिया तो चारो तरफ खुशी  और उल्लास का वातावरण बन गया। लोग मस्ती में   झूमते- नाचते एक दूसरे को बधाइयॉं दे रहे थे. प्रधानमंत्री माननीय अटल बिहारी वाजपेयी की चारों तरफ जय-जयकार हो रही थी. घर घर में दीपमल्लिका सजा कर रोशनी की गई थी. आतिश बाजी का नजारा देखते ही बनता था. पहली सरकार कांग्रेस की बननी थी सो कुर्सी के लिए उठापटक का दौर बंद कमरे में चल रहा था. लोग एक तरफ नए राज्य निर्माण की खुशी  मना रहे थे तो दूसरी तरफ कौन बनेगा प्रथम  मुख्यमंत्री इस जिज्ञाषा में अपना ध्यान राजनीतिक गलियारों की ओर लगायें थे.

    राज्य का गठन करना कोई हंसी खेल तो था नहीं। कई वर्षो से लोग आवाज उठा रहे थे अनेक तरह से आंदोलन भी करते रहे लेकिन राज्य का निर्माण नहीं हो पाया था। इस बीच प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने सन 1998 में सप्रेशाला रायपुर के मैदान में एक अटल प्रतिज्ञा की, कि यदि आप लोकसभा की 11 में से 11 सीटो में भाजपा को जितायेंगे तो मैं तुम्हे छत्तीसगढ़ राज्य दूंगा। लोकसभा चुनाव का परिणाम आया। भाजपा को 11 में सें 8 सीटे मिली लेकिन केंद्र में अटल सरकार फिर से बनी। प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी ने अपनी प्रतिज्ञा के अनुरूप राज्य निर्माण के लिए पहले ही दिन से प्रक्रिया प्रारंभ कर दी। मध्यप्रदेश राज्य पुर्निर्माण विधेयक 2000 को 25 जुलाई 2000 में लोकसभा में पेश किया गया। इसी दिन बाकी दोनो राज्यो के विधेयक भी पेश हुए। 31 जुलाई 2000 को लोकसभा में और 9 अगस्त को राज्य सभा में छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के प्रस्ताव पर मुहर लगी। 25 अगस्त को राष्ट्रपति ने इसे मंदूरी दे दी। 4 सिंतबर 2000 को भारत सरकार के राजपत्र में प्रकाशन के बाद 1 नवंबर 2000 को छत्तीसगढ़ देश के 26 वें राज्य के रूप में अस्तित्व में आया और एक अटल-प्रतिज्ञा पूरी हुई।

    छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के पहले हम मध्यप्रदेश में थे। मध्यप्रदेश का निर्माण सन 1956 में  1 नवम्बर को ही हुआ था। हम 1 नवम्बर 1956 से 31 अक्टूबर 2000 तक यानी 44 वर्षो तक मध्यप्रदेश के निवासी थे तब हमारी राजधानी भोपाल थी। इसके पूर्व वर्तमान छत्तीसगढ़ का हिस्सा सेन्ट्रल प्रोविंस एंड बेरार (सी.पी.एंड बेरार) में था तब हमारी राजधानी नागपुर थी। इस प्रकार हमें पहले सी.पी.एंड बेरार, तत्पश्चात  मध्यप्रदेश और अब छत्तीसगढ़ के निवासी है। वर्तमान छत्तीसगढ़ में जिन लोगो का जन्म 1 नवम्बर 1956 को या इससे पूर्व हुआ वे तीन राज्यो में रहने का सुख प्राप्त कर चुके है।

    परंतु छत्तीसगढ़ राज्य में रहने का अपना अलग ही सुख है। अगर हम भौतिक विकास की बात करे तो छत्तीसगढ़ कें संदर्भ में यह कहा जा सकता है कि हमने 12 वर्षो से लंबी छलांग लगाई है। मै यह बात इसीलिए लिख रहा हू  क्योंकि हम 1 नवम्बर 2000 के पहले देश की मुख्य धारा से काफी अलग थे। गरीबी, बेकारी, भूखमरी, अराजकता और पिछड़ापन हमें विरासत में मिला। छत्तीसगढ़ इन बारह वर्षो मे गरीबी, बेकारी, भुखमरी, अराजकता और पिछड़ापन के खिलाफ संघर्ष करके आज ऐसे मुकाम पर खड़ा है जहा देखकर अन्य विकासशील  राज्यों का ईर्ष्या हो सकती है। इस नवोदित राज्य को पलायन व पिछड़ापन से मुक्ति पाने में 12 वर्ष लग गये। सरकार की जनकल्याणकारी योजनांए से नगर, गांव व कस्बो की तकदीर व तस्वीर तेजी बदल रही है। छत्तीसगढ़ की मूल आत्मा गांव में बसी हुई है, सरकार के लिए गांवो का विकास एक बहुत बड़ी चुनौती थी लेकिन इस  काल - खण्ड में विकास कार्यो के सम्मपन्न हो जाने से गांव की नई तस्वीर उभरी है। गांव के किसानों को सिंचाई, बिजली, सड़क, पेयजल, शिक्षा व स्वास्थ जैसी मूलभूत सेवांए प्राथमिकता के आधार पर मुहैया कराई गई है। हमें याद है कि पहले गॉंवो में ग्राम पंचायते थी लेकिन पंचायत भवन नहीं थे, शालाएं थी लेकिन शाला भवन नही थे, सड़के तो नही के बराबर थी, पेयजल की सुविधा भी नाजुक थी लेकिन आज गांव की तस्वीर बन चुकी है। विकास कार्यो के नाम पर पंचायत भवन, शाला भवन, आंगनबाड़ी भवन, मंगल भवन, सामुदायिक भवन, उपस्वास्थय केन्द्र, निर्मलाघाट, मुक्तिधाम जैसे अधोसरंचना के कार्य गांव-गांव में दृष्टिगोचर हो रहे है। अपवाद स्वरूप ही ऐसे गांव बचें होंगे जहॉं बारहमासी सड़को की सुविधा ना हो, गांवो की सड़को से जोड़ने से गांव व शहर की दूरी कम हुई है। अनेक गंभीर चुनौतियों के बावजूद ग्रामीण विकास के मामले में छत्तीसगढ़ ने उल्लेखनीय प्रगति की है। छत्तीसगढ़ को भूखमरी से मुक्त कराने के लिए डॉ रमन सिंह की सरकार ने बी.पी.एल. परिवारों को 1 रूपये/2 रूपये किलों में प्रतिमाह 35 किलो चावल देने का एतिहासिक निर्णय लिया जो देश भर में अनुकरणीय बन गया है। किसानो को 1 प्रतिशत ब्याज दर पर फसल ऋण प्राप्त हो रहा है। स्कूली बच्चों को मुफ्त में  पाठ्य पुस्तक उपलब्ध कराई जा रही है। वनोपज संग्रहणकर्ता मजदूरों को चरण - पादुकांए दी जा रही है। अगर यह संभव हो पाया तो केवल इसीलिए कि माननीय अटलबिहारी वाजपेयी ने एक झटके में छत्तीसगढ़ का निर्माण किया, छत्तीसगढ़ की जनता उनका सदैव ऋणी रहेगी।



                                                                                                                            

19 दिसंबर 2012

सतनाम पंथ के संस्थापक बाबा गुरु घासीदास


बाबा गुरु घासीदास
तनाम पंथ के संस्थापक बाबा गुरु घासीदास की आज 18 दिसंबर को जयन्ती है .पूरे छत्तीसगढ़ में उनके अनुयायी बड़े  धूमधाम से यह पर्व मनाते है. बाबा गुरु घासीदास एक अलौकिक एवं चमत्कारिक पुरुष थे . सत्य के प्रति उनकी अटूट आस्था की वजह से ही उन्होंने बचपन में ही कई चमत्कार दिखाए जिसका लोगों पर काफी प्रभाव पड़ा . इस प्रभाव के चलते भारी संख्या में लोग उनके अनुयायी हो गए .इस प्रकार छत्तीसगढ़ में सतनाम पंथ की स्थापना हुई .इस संप्रदाय के लोग बाबा गुरु घासीदास को अवतारी पुरुष के रूप में मानते है . बाबा का जन्म 18 दिसम्बर 1756 को रायपुर जिले के कसडोल ब्लाक (अब बलौदाबाजार जिला) के ग्राम गिरौदपुरी में हुआ था . उनकी माता का नाम अमरौतिन तथा पिता का नाम महंगुदास था . पिता महंगुदास भी अपने पुत्र की चमत्कारिक एवं अलौकिक घटनाओं से अचंभित थे . कालांतर में गुरु घासीदास का विवाह सिरपुर की सफुरा माता से हुआ.


          18 वीं सदी में छुआछूत तथा भेदभाव का काफी बोलबाला था, बाबा गुरु घासीदास इसके सख्त  विरोधी थे . वे मानवता के पुजारी तथा सामाजिक समरसता के प्रतीक थे . उनकी मान्यता थी - " मनखे मनखे एक हे ,मनखे के धर्म एक हे ". उन्होंने जीवन मूल्यों पर अधिक ध्यान दिया तथा लोगों को शराब व मांस के सेवन से मुक्ति दिलाई. बाबा गुरू घासीदास ने समाज को सत्य, अहिंसा, समानता, न्याय और भाईचारे के मार्ग पर चलने की सीख दी .बाबा ने असमानता को दूर करने के लिए गिरौदपुरी से कुछ ही दूर स्थित घनघोर जंगल के मध्य छाता पहाड़ पर औरा-धौरा पेड़ के नीचे बैठकर तपस्या की . उन्हें तपस्या अवधि में ही दिव्य ज्ञान की प्राप्ति हुई. फलस्वरूप बाबाजी ने अपने दिव्य शक्ति से समाज में व्याप्त असमानताओं, रूढ़ियों तथा कुरीतियों को दूर कर समाज को एक नई दिशा दी. उन्होंने संपर्क में आने वाले हर जीव की आत्मा को शुद्ध किया. उनके उपदेश से लोग अंधकार से प्रकाश की ओर, दुष्कर्म से सद्कर्म की ओर तथा असत्य से सत्य की ओर जाने के लिए प्रेरित हुए .उन्होंने समाज के प्रचलित कर्मकांडों, आडंबरों तथा जाति प्रथा का विरोध किया. गुरू घासीदासजी ने मद्यपान,मांस-भक्षण,ध्रुम्रपान तथा पशुबलि का विरोध किया . उन्होंने अपने जीवन काल में स्त्रियों की दशा सुधारने और समाज के नैतिक मूल्यों में सुधार लाने का विशेष प्रयास किया. गुरू घासीदास जी के उपदेश से समाज में सत्य, अहिंसा, करूणा,दया,क्षमा,एकता,प्रेम,परोपकार और सम्मान की भावना  विकसित हुई . छत्तीसगढ़ के जनजीवन में आज भी बाबा गुरु घासीदास के विचारों की छाप स्पष्ट दृष्टिगोचर होती है .


 जय सतनाम !

13 दिसंबर 2012

सहकारी सदन में संगोष्ठी आयोजित

 

छत्तीसगढ़ में सहकारिता आन्दोलन को मिला व्यापक जनाधार  

- अशोक बजाज



 मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार के नौ वर्ष पूर्ण होने और उनके द्वितीय कार्यकाल के पांचवें वर्ष के शुभारंभ के अवसर पर आज यहां रायपुर जिला सहकारी संघ द्वारा 'छत्तीसगढ़ में नये क्षितिज को छूती सहकारिता' विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। चौबे कॉलोनी स्थित सहकारी सदन में मुख्य वक्ता के रूप में छत्तीसगढ़ राज्य भण्डारगृह निगम के अध्यक्ष श्री अशोक बजाज और प्रदेश के जाने-माने अर्थशास्त्री द्वय डॉ. अशोक पारख तथा डॉ. हनुमंत यादव ने संगोष्ठी को सम्बोधित किया। रायपुर दुग्ध संघ के अध्यक्ष श्री रसिक परमार सहित अनेक प्रबुध्द नागरिक और सहकारी संस्थाओं के प्रतिनिधि इस अवसर पर उपस्थित थे।

  श्री अशोक बजाज ने इस अवसर पर कहा कि डॉ. रमन सिंह ने प्रदेश के विकास की अपनी कार्यसूची में सहकारिता को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। उनके गतिशील नेतृत्व में सहकारिता आन्दोलन का लगातार विस्तार हो रहा है और इसे व्यापक जनाधार मिला है। इस रचनात्मक आन्दोलन के प्रति सामाजिक चेतना भी बढ़ी है। श्री बजाज ने कहा कि सहकारिता मनुष्य को उन्नति के शिखर पर ले जाती है। रमन सरकार ने  विगत नौ वर्षो में छत्तीसगढ़ में सहकारिता आन्दोलन को सुदृढ़ बनाकर प्रदेश के लाखों किसानों, मजदूरों और वनवासी परिवारों की आर्थिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त किया है। छत्तीसगढ़ में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के सुचारू संचालन के फलस्वरूप 34 लाख गरीब परिवारों को हर महीने मात्र एक रूपए और दो रूपए किलो में 35 किलो चावल तथा नि:शुल्क दो किलो नमक नियमित रूप से मिल रहा है। इसके फलस्वरूप राज्य के गरीबों को भूख की पीड़ा से मुक्ति मिली है।

 श्री बजाज ने कहा कि सहकारिता के माध्यम से ही प्रदेश में एक हजार 333 प्राथमिक सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों का एक-एक दाना धान समर्थन मूल्य नीति के तहत खरीदने और राशि के भुगतान की समुचित व्यवस्था की गई है। उन्होंने कहा कि सहकारिता पर आधारित छत्तीसगढ़ की सार्वजनिक वितरण प्रणाली को देश भर में एक मॉडल के रूप में देखा जा रहा है। कृषि ऋणों पर ब्याज दर को तेरह-चौदह-पन्द्रह प्रतिशत से घटाकर मात्र एक प्रतिशत किए जाने का निर्णय किसानों के लिए वरदान साबित हो रहा है।  उन्होंने कहा कि रमन सरकार ने महंगाई के इस दौर में खेती की बढ़ती लागत से किसानों को राहत दिलाने के लिए सहकारी समितियों में कृषि ऋणों पर ब्याज दर को लगातार कम किया है। वर्ष 2001-02 में जब यह ब्याज दर तेरह से पन्द्रह प्रतिशत थी, उस समय केवल तीन लाख 95 हजार किसानों ने 152 करोड़ 42 लाख रूपए का ऋण लिया था, जबकि आज उनके ब्याज दर मात्र एक प्रतिशत करने पर नौ लाख 45 हजार से ज्यादा किसानों ने एक हजार 687 करोड़ रूपए का ऋण इन समितियों से प्राप्त किया है। यह किसानों के हित में रमन सरकार की महत्वपूर्ण उपलब्धि है। इससे यह स्पष्ट होता है कि छत्तीसगढ़ में गांव, गरीब और किसानों के लिए सहकारिता के क्षेत्र में रमन सरकार की नीति काफी उपयोगी और सार्थक साबित हो रही है। श्री बजाज ने छत्तीसगढ़ में सहकारी आन्दोलन को बढ़ावा देने और सहकारिता को नई ऊंचाईयों तक पहुंचाने के लिए मुख्यमंत्री और उनकी सरकार के प्रति आभार व्यक्त किया। इस मौके पर छत्तीसगढ़ के सुप्रसिध्द अर्थशास्त्री और छत्तीसगढ़ के द्वितीय राज्य वित्त आयोग के सदस्य डॉ. अशोक पारख ने कहा कि छत्तीसगढ़ में सहकारिता आन्दोलन कई मामलों में देश के अन्य राज्यों की तुलना में बेहतर स्थिति में है। डॉ. पारख ने कहा कि प्रदेश में कार्यरत महिला स्व-सहायता समूहों की भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। डॉ. हनुमंत यादव ने कहा कि छत्तीसगढ़ में सहकारिता के क्षेत्र में जहां लघु वनोपज समितियों के माध्यम से लाखों तेन्दूपत्ता संग्राहकों को बेहतर पारिश्रमिक के साथ बोनस भी दिया जा रहा है वहीं सहकारी समितियां धान खरीदी के साथ-साथ दूध के उत्पादन और व्यवसाय में भी अपना योगदान दे रही हैं। उन्होंने कहा कि हम सहकारिता के माध्यम से स्वदेशी वस्तुओं के कारोबार का अभियान चलाकर एफडीआई और विदेशी उत्पादकों का मुकाबला कर सकते हैं।  डॉ. यादव ने कहा कि किसानों, ग्रामीणों और वनवासियों के उत्थान में सहकारिता की सर्वाधिक महत्वपूर्ण भूमिका है। भारत माता के चित्र पर माल्यार्पन कर तथा दीप प्रज्जवलन के साथ संगोष्ठी का शुभारंभ हुआ। आभार प्रदर्शन श्री लियाकत अली ने किया।

12 दिसंबर 2012

आपको 12.12.12 की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं !

आपको 12.12.12 की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं !
                                                        - अशोक बजाज 






                                                                   जय छत्तीसगढ़