02 जुलाई 2012
30 जून 2012
अल्ला मेघ दे पानी दे . . .
कई दिनों से बारिस का इंतजार है, 20 -21 जून को अच्छी बारिस हुई थी सो
किसानों ने धान की बोनी शुरू कर दी. अब मौसम ने फिर यू टर्न ले लिया है
यानी फिर वही गर्मी , तेज धूप और पसीना . खेतों के अंकुरित बीज धूप में
झुलसाने लगे है. किसान बहुत अधिक चिंतित है . मौसम विभाग भी मौन है शायद
उसे भी हवा के रुख का इंतजार है. एक दौर था जब गाँव में बरसात के लिए
आल्हा-उद्दल के मल्हार गाये जाते थे, लेकिन आज की पीढ़ी आल्हा- उद्दल को
नहीं जानती. बरसात के लिए कभी श्रीरामनाम सप्ताह का आयोजन किया जाता था ,यज्ञ पूजन किये जाते थेयुवा और बच्चे फेसबुक में तथा बड़े टेलीवीजन के धारावाहिक में मस्त है . मानसून की अनियमितता से हम सभी चिंतित है . नित्य-प्रतिदिन प्रकृति से खिलवाड़ करने का खामियाजा भी हमें ही भुगतना पड़ेगा. यह प्रकृति से खिलवाड़ का ही नतीजा ही है कि तेजी से जलवायु परिवर्तन हो रहा है. जो कृषि आधारित अर्थ व्यवस्था को चौपट कर रहा है. छत्तीसगढ़ में खरीफ मौसम में धन की खेती होती है . यदि मानसून ने धोखा दिया तो किसानों की उम्मीदों पर पानी फिर जायेगा.
शायद ऊपर वाला इनकी गुहार जरुर सुनेगा ...........
05 जून 2012
दिमाग को धोखा देने वाला चश्मा

टोक्यो यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने एक ऐसा चश्मा विकसित किया है जो चीजों को उनके वास्तविक आकार से बढ़ाकर या घटाकर दिखा सकता है. यूनिवर्सिटी ग्रेज्युएट स्कूल ऑफ इनफर्मेशन साइंस के प्रोफेसर मिशिताका हिरोसे का कहना है कि प्रयोग के दौरान इसकी सफलता दर करीब 80 प्रतिशत है.
इसका प्रयोग उन लोगों पर किया गया जो बिस्कुट खाना चाहते हैं.चश्मे की वजह से बिस्कुट का आकार वास्तविक आकार से 50 फीसदी ज्यादा बड़ा दिखाई दिया. नतीजा ये हुआ कि लोगों ने 10 फीसदी कम बिस्कुट खाया. इसी तरह कुछ लोगों को खाने के लिए कुकीज दिया गया. चश्मा पहनने के बाद इसका आकार वास्तविक आकार से दो तिहाई हो गया. नतीजा ये हुआ कि कुकीज खाने वालों ने 15 फीसदी ज्यादा कुकीज खाए.
प्रोफेसर मिशिताका हिरोसे का कहना है, "ये सारा खेल आभासी सच्चाई से जुड़ा है. यथार्थ दिमाग में होता है. कंम्प्यूटर का इस्तेमाल करके कैसे इंसान के दिमाग को धोखा दिया जा सकता है ये जानना काफी अहम है.''
इस यंत्र के बारे में हिरोसे कहते हैं कि इसमें एक कैमरा लगा होता है जो छवि को कंम्यूटर तक भेजता है. और फिर इसे कंम्यूटर कम या ज्यादा करता है. जो लोग चश्मा पहने होते हैं उन्हें इसका वास्तविक आकार नहीं पता चलता. इसके अलावा हिरोसे की टीम ने एक मेटा कुकी भी बनाया है जिसे पहनने के बाद दिमाग को धोखा देना एकदम आसान हो जाएगा. इसमें ये भी हो सकता है कि आप हकीकत में स्नैक खा रहे होंगे जबकि आपको लगेगा कि आप सादा बिस्कुट खा रहे हैं.
हालांकि हिरोसे का कहना है कि वो इसका व्यावसायिक इस्तेमाल नहीं करेंगे लेकिन इसका फायदा उन लोगों को जरूर हो सकता है जो मोटापे के शिकार हैं. आंकड़े बताते हैं कि मोटापे की बीमारी सबसे ज्यादा अमेरिका में है. करीब एक तिहाई आबादी मोटापे से ग्रस्त है. भारत की करीब पांच फीसदी आबादी मोटापे से ग्रस्त हो चुकी है. इसमें सबसे ज्यादा लोग पंजाब के हैं.
DW News
03 जून 2012
विकसित देशों का बाई-प्रोडक्ट है कैंसर

शोधकर्ताओं के अनुसार हालांकि
संक्रमण से होने वाले कैंसर जैसे सर्वाइकल या फिर लीवर कैंसर के मामलों
में कमी आ रही है, लेकिन इनकी कमी कैंसर के उन
मामलों से काफी पीछे रह जाएगी जो कि गलत आदतों की वजह से काफी तेजी से बढ़
रही हैं. इनमें अत्यधिक मात्रा में शराब, सिगरेट के सेवन से होने वाले फेफड़ों, आंत और स्तन कैंसर प्रमुख हैं.
बी.बी.सी.के मुताबिक ये
शोध फ्रांस के लियोन शहर स्थित इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर
अर्थात् आई. ए.आर.सी. और अमेरिकन कैंसर सोसायटी के वैज्ञानिकों ने मिलकर
किया
है. इस शोध कार्य के प्रमुख और आई. ए.आर.सी. के वैज्ञानिक फ्रेडी ब्रे के
मुताबिक कैंसर उन देशों का एक बाई-प्रोडक्ट है जहां शिक्षा, आमदनी और जीवन
शैली बेहतर हुई है. ब्रे और उनके साथी शोधकर्ताओं का अनुमान है कि साल 2030
तक 184 देशों में कैंसर के करीब दो करोड़ 22 लाख नए मामले सामने आएंगे.
ज्यादातर
विकासशील देशों में लोग उस कैंसर से पीड़ित हैं जो संक्रमण की वजह से होता
है. लेकिन भविष्य में इन्हें न सिर्फ इस तरह के कैंसर से निपटना होगा,
बल्कि बदलती जीवन शैली की वजह से होने वाले कैंसर से भी लड़ना पड़ेगा. ब्रे
का अनुमान है कि चीन में लोगों में धूम्रपान की बढ़ती लत से अगले कुछ
दशकों में स्थिति खराब हो सकती है. विशेषज्ञों का कहना है कि कैंसर का
इलाज बहुत महंगा है, इसलिए गरीब
देशों को इससे बचाव के उपायों पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है.
20 मई 2012
फसल में लगी भयानक आग
ग्रामीणों की सूझबूझ से बच गया लखना
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आग की लपट |
अभनपुर
ब्लाक के ग्राम लखना में शाम को भीषण आग लग गई. नवापारा राजिम से 4 की.मी.
दूर ये वही लखना गाँव है जो महानदी का टापू कहलाता है. महानदी में जब बाढ़
आती है तो यह गाँव चारों तरफ पानी से घिर जाता है लेकिन आज उल्टा हो गया.
आज यह गाँव आग से घिर गया. हुआ यूं कि आज शाम अचानक तेज आंधी चलने से बिजली
के तार आपस में टकरा गए , इसकी चिंगारी रवी फसल के धान के खेत में गिरी
फलस्वरूप खेत में आग लग गई और देखते ही देखते चारों तरफ फ़ैल गई. तेज हवाओं के कारण आग की लपटे बस्ती तरफ बढ़ने लगी.
सहकारी चुनाव के सिलसिले में उधर दौरे में था सूचना मिलते ही 10 मिनट में
लखना पहुँच गया. जीवन में पहली बार मैंने ऐसा भयावह दृश्य देखा. आग तेजी से
गाँव की तरफ बढ़ रही थी, लोग घरों को खाली कर गलियों में आ गए थे. इस बीच
कुछ लोगो ने साहस दिखाया और आग की लपटों को बस्ती में आने से रोकने के लिए
खेतों की ओर बढे तथा लाठी ,डंडे तथा पेड़ की डालियों से लपटों को मार मार
कर लपटों को बुझाया. अन्तोगत्वा आग पर काबू पा लिया गया . इस प्रकार एक
बहुत बड़ी अनहोनी टल गई. आग जितनी तेजी से गाँव की तरफ बढ़ रही थी उसी तेजी
से गाँव वालों ने मुस्तैदी के साथ आग को बुझाया. हालाँकि इस आगजनी से
सैकड़ों एकड़ धान की फसल जल कर राख हो गई तथा अनेक मोटर पंप भी आग की चपेट
में आ गए लेकिन सुकून वाली बात यह है कोई जन-हानि नहीं हुई.
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आग बुझने के बाद राहत की साँस |
लखना गाँव में किसी समय एक जोगीबाबा ने तप किया था ,उनकी याद में ग्रामीणों ने भव्य मंदिर का भी निर्माण किया है. ऐसी मान्यता है कि जोगीबाबा के तप की वजह से गाँव में सुख शांति है. आज आग लगने के बाद एक समय ऐसा लगने लगा था कि समूचा गाँव जल कर राख हो जायेगा लेकिन गाँव बच गया . ग्रामीणों ने बचने का श्रेय जोगीबाबा को दिया तथा आग बुझने के बाद मंदिर में जाकर जोगीबाबा के प्रति आभार प्रकट किया.
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देशबंधु रायपुर |
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लखना में लगी आग को बुझाने में जुटे लोग |
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