ग्राम चौपाल में आपका स्वागत है * * * * नशा हे ख़राब झन पीहू शराब * * * * जल है तो कल है * * * * स्वच्छता, समानता, सदभाव, स्वालंबन एवं समृद्धि की ओर बढ़ता समाज * * * * ग्राम चौपाल में आपका स्वागत है

22 सितंबर 2011

खुश हो जाइये क्योंकि अब आप अमीर हैं



एक मजे की बात सुनो ........

प यदि भारत के किसी शहर में रहते हैं और आपका प्रतिदिन का खर्चा 32 रु. या उससे अधिक है तो आप अमीर हैं . यदि आप भारत के किसी गाँव में रहते हैं  और आपका प्रतिदिन का खर्चा 26 रु. या उससे अधिक है तो आप गरीब कदापि नहीं हैं  .जी हाँ योजना आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफ़नामा दाखिल कर कहा है कि शहरी क्षेत्रों में 965 रुपए प्रति माह और ग्रामीण क्षेत्रों में 781 रुपए प्रति माह कमाने वाले व्यक्ति को हरगिज  ग़रीब नहीं कहा जा सकता. इस स्थिति में आप  सरकार की उन कल्याणकारी योजनाओं और सुविधाओं के पात्र नहीं है जो गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले लोगों के लिए बनाई गई है .
 
नए मापदंड के मुताबिक़ शहर मे रहने वाला पांच सदस्यों का परिवार अगर महीने में 4,824 रुपए कमाता है, तो उसे कल्याणकारी योजनाओं के लिए योग्य नहीं कहा जा सकता. वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले 5 सदस्यीय  परिवार के लिए मासिक 3,905 रुपए की कमाई उन्हें बी.पी.एल. से ऊपर यानी ए.पी.एल. की श्रेणी में नाम दर्ज करने के लिए काफी है . लिहाज़ा उन्हें  केंद्र और राज्य सरकारों की तरफ़ से ग़रीबों के लिए चलाए जाने वाली योजनाओं से महरूम रहना होगा .

अब सवाल यह उठता है कि इतनी कमाई क्या एक परिवार की खाद्यान , आवास , चिकित्सा , शैक्षणिक आवश्यकता तथा अन्य पारिवारिक व सामाजिक दायित्वों को पूरा करने के लिए पर्याप्त है . भीषण बढ़ती महंगाई के युग में योजना आयोग ने बी.पी.एल. का जो नया पैमाना केंद्र सरकार की सहमति से प्रस्तुत किया है वह अत्यंत ही हास्यास्पद है तथा गरीबी का सीधा मजाक है . पिछले कुछ वर्षों से मध्यम वर्ग तथा निम्न मध्यम वर्ग के लोग आर्थिक तंगी से बेहाल है , इनमें से कुछ लोग अपना नाम बी.पी.एल. में जुड़वा कर अपना किसी प्रकार गुजारा कर रहें है यदि योजना आयोग की सिफारिश ज्यों की त्यों लागू हो जाती है तो इन पर पहाड़ टूट जायेगा .



20 सितंबर 2011

ब्लागिंग का भविष्य उज्जवल है

हिंदी के सुप्रसिद्ध ब्लागर श्री गिरीश बिल्लोरे जबलपुर  द्वारा http://bambuser.com के लिए दिनांक 19 सितंबर 2011 को वीडियो चेटिंग के माध्यम से  इंटरव्यू लिया गया . इसमें श्री बिल्लोरे की आवाज तो साफ आ रही है पर मेरी आवाज इको होने के कारण स्पष्ट नहीं है . इस साक्षात्कार में  ब्लागिंग ,पत्रकारिता ,पर्यावरण , कुपोषण एवं भ्रूण हत्या जैसे ज्वलंत मुद्दों पर लंबी चर्चा हुई . 

*  ब्लागिंग का भविष्य उज्जवल है .
*  राष्ट्रीय ब्लागर मीट अब रायपुर में .
*  उर्जा का अपव्यय न करें , इसे भावी पीढ़ी के लिए बचाए .
          
सुनिए यू-ट्यूब पर .....


      

18 सितंबर 2011

ब्लागिंग के क्षेत्र में नया धमाका

  नए एग्रीगेटर : ब्लागललित का उदय
पं. ललित शर्मा
ब्लागरों को काफी दिनों से एक सशक्त  एग्रीगेटर की कमी खल रही थी , चिट्ठाजगत के विसर्जन  के बाद ब्लागरों में निराशा की भावना घर कर गई थी . फलस्वरूप अनेक ब्लॉग बंद हो गए . अधिकांश ब्लागर  फेसबुक के  भीड़ भरे स्टाल के हिस्से हो गए.ब्लागिंग की इस मंडी में मन्दी छा गई है  यानी नए ब्लागरों की आवक कम हो गई है .छत्तीसगढ़ के ब्लागरों के लिए छत्तीसगढ़ ब्लागर्स चौपाल तो है लेकिन अन्य प्रान्त के ब्लागरों को इसकी कमी का एहसास था .  इस स्थिति में छत्तीसगढ़ के तेजतर्रार ब्लागर पं. ललित शर्मा ने  काफी मेहनत और मशक्कत के बाद आज से ब्लागिंग की दुनिया में नया एग्रीगेटर प्रारंभ किया है .इस एग्रीगेटर का नाम उन्होंने रखा है- ब्लागललित (http://blogabhanpur.blogspot.com). इसमें लगभग 500 ब्लाग पोस्ट प्रदर्शित हो रहे है . यह  एग्रीगेटर  ब्लाग जगत में नया धमाका  है तथा आने वाले समय में यह मील का पत्थर साबित होगा . इससे नए पुराने सभी ब्लागरों को प्रोत्साहन मिलेगा . भाई ललित जी को उनके इस सराहनीय प्रयास के लिए साधुवाद तथा सभी ब्लागरों को बधाई .

16 सितंबर 2011

ब्रिटिश संसद में जम्मू-कश्मीर पर निरर्थक बहस


ब्रिटेन में  कंजरवेटिव पार्टी के सांसद स्टीव बेकर के नेतृत्व में कश्मीर समर्थक अनेक सांसदों ने जम्मू-कश्मीर में मानवाधिकार हनन के कथित उल्लंघन पर  निचले सदन हाउस ऑफ कामंस में बहस कराने की मांग की है.  एमनेस्टी इंटरनेशनल की रिपोर्ट को मुख्य आधार बना कर इन सांसदों ने हाउस ऑफ कामंस में यह मुद्दा उछाला है . 

कश्मीर में पृथकतावाद के समर्थक  ब्रिटेन के इन  सांसदों की  यह हरकत भारत के आतंरिक मामले में  सीधा हस्तक्षेप है . भारत एक लोकतांत्रिक देश है तथा यहां विधि का  शासन स्थापित है अतः  भारत सरकार को इस पर कड़ा एतराज करना चाहिए . 

लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार के नेतृत्व में हाल ही  में भारत का एक संसदीय प्रतिनिधिमंडल लंदन में वेस्टमिंस्टर गया था . शिष्टमंडल को  ब्रिटिश संसद में लगे विश्व के नक्शे को  देख कर बड़ा आश्चर्य हुआ . ब्रिटिश संसद में लगे नक्शे में  अरुणाचल प्रदेश को चीन तथा  कश्मीर के एक हिस्से को पाकिस्तान में प्रदर्शित किया  गया है .

13 सितंबर 2011

ये वो नन्हें फूल हैं जो भगवान को लगते प्यारे....

                    


" इनको किसी से बैर नहीं, इनके लिए कोई गैर नहीं "

 

जन्म के वक्त पपी का वजन 500 ग्राम से लेकर सात किलो तक हो सकता है. ऐसा नहीं है कि जन्म के वक्त उनका जो रंग है, वही हमेशा रहे. हो सकता है बाद में वह बदल जाए.

चाहे बच्चे ही क्यों न हों लेकिन हैं तो बाघ के. दहाड़ लगाने पर अच्छे अच्छों के पसीने छूट जाते हैं. एक किलो का बाघ का बच्चा बड़ा होकर 300 किलो तक का हो सकता है.
पैदाइश के वक्त आम तौर पर हाथी का वजह 105 किलो होता है. हाथी काले भी होते हैं, सफेद भी. लेकिन उनकी सबसे ज्यादा पूछ उनके दांतों की वजह से होती है.

  

बिल्लियां भले ही पालतू हों और खतरनाक न दिखें लेकिन उन्हें शेर की मौसी कहा जाता है. पैदा होने के बाद उन्हें पूरी तरह से विकास करने में करीब दो महीने लगते हैं.

सोचिए शेर के बच्चे जब छोटे हों तो एक टोकरी में चार बच्चों को भी रखा जा सकता है. तब उनका वजह भी सिर्फ एक किलो होता है लेकिन जब बड़े हो जाएं, तो 250 किलो तक के हो सकते हैं.
कोअला प्रजाति का यह बच्चा दिखने में पांडा से मिलता जुलता है लेकिन इसकी परवरिश कंगारुओं तरह होती है. लॉस एजेंलिस के जू में पैदा हुआ किरही छह महीने तक मां की थैली में रहा.
समुद्री ही सही, शेर तो ये भी हैं. जन्म के समय समुद्री शेर यानी सील का वजन आम तौर पर 10 किलो के आस पास होता है. कुछ सील मनुष्यों के दोस्त बन जाते हैं.
सफेद बर्फ पर लोटते ये बर्फीले भालू भले ही एक जैसे दिख रहे हों लेकिन नर भालू बड़ा होकर कोई 700 किलो का हो जाएगा, जबकि मादा भालू का वज़न उससे आधा ही रह जाएगा.
यंट पांडा जन्म के समय सिर्फ 100 या 200 ग्राम का होता है और तब कोई सोच भी नहीं सकता कि बड़ा होकर यह 150 किलोग्राम का बन सकता है. अमेरिकी जू में चहलकदमी करता एक पांडा.
कंगारू का बच्चा जन्म के बाद महीनों मां की थैली में रहता है. इस दौरान उसका विकास होता रहता है. करीब 235 दिन तक वहां रहने के बाद वह आखिरी बार मां की थैली को छोड़ता है.
शेर की सवारी करने के लिए शेर का बच्चा होना जरूरी है. लेकिन अगर आप बंदर हैं और आपका नाम गोल्डन लॉयन है, तो भी आप यह सवारी कर सकते हैं
फोटो - साभार डायचे वेले हिंदी