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22 जून 2011

सरहद का मखौल

अमेरिकन मॉली आउल
आज ही खबर मिली कि अमेरिकी उल्लू भारत पहुँच गया है. यह भारत में कब, कैसे और क्यों आया यह शोध का विषय हो सकता है. यह भी शोध का विषय हो सकता है कि उसकी भारत के प्रति रूचि क्यों जागृत हुई .

बहरहाल अमेरिकन मॉली नाम का एक विरल प्रजाति का उल्लू तमिलनाडु के नागपट्टनम जिले में पाया गया है. थेरक्कुपोयगायनाल्लुर गांव में किसान अइयप्पन को अपने धान की खेत में यह घायल पंछी मिला. हो सकता है कि यह पंछी गांव के नाम से आकर्षित हुआ था. बहरहाल, किसान अइयप्पन ने उसके लिए दाना पानी का बंदोबस्त किया, जाहिर है कि रात के दौरान. दिन भर यह पंछी सोता रहा होगा. फिर जब शाम ढली तो उसे एक पशु चिकित्सक के पास ले जाया गया. इस बीच इस अजूबे पंछी को वन विभाग के सुपुर्द कर दिया गया है.

वैसे किसी को इस पक्षी के भारत आने पर आपत्ति नहीं होनी चाहिए क्योंकि पक्षियों के लिए सारा संसार एक घर है. अतः पक्षियों को सरहद पार करने के लिए बीजा या पासपोर्ट की जरुरत नहीं पड़ती . सरहद तो मनुष्य ने मनुष्य के लिए ही बनायें है. पक्षी सदा मनुष्य के बनाये हुए सरहद का मखौल उड़ाते है .

Rare breed of owl spotted at Nagai 

NAGAPATTINAM: A rare breed of owl, mostly found in North America, was spotted in a paddy field here by a farmer on Friday.  The nocturnal bird, which has suffered injuries, was handed over to the forest department.  Wildlife experts said that it belonged to a species named ‘Molly’ which was said to have originated from California in the USA.  Out of the 189 types of owls found in the world, Molly was an important variety.  The bird might have taken shelter in a ship and reached Nagapattinam, he said and added that it was also possible that it could have migrated on its own. The brown coloured bird was noticed by Aiyappan, a farmer of Therkkupoigainallur village, at a paddy field. It was found with injuries and was not in a position to fly.  He had brought it home and gave water to it.  Dr Asokan examined the bird and provided first-aid. Later, it was handed over to the Forest department.  After first-aid, the owl gained strength. Now it is under the care of Nagapattinam wildlife department.  NEWS 

https://www.newindianexpress.com/states/tamil-nadu/2011/jun/18/rare-breed-of-owl-spotted-at-nagai-263808.html

20 जून 2011

इंटरनेट डोमेन नामों की संख्या बढ़ेगी

 

इंटरनेट वेबसाइटों के पतों को मंज़ूरी देने वाली संस्था आईकैन ने कहा है कि इंटरनेट डोमेन नामों की संख्या बढ़ाई जाएगी. पिछले 25 सालों में इसे इंटरनेट दुनिया की एक बड़ी ख़बर माना जा रहा है. सिंगापुर में हुई एक कॉन्फ़्रेंस में आईकैन ने नए डोमेन नाम जारी करने के पक्ष में मतदान किया है. आईकैन के फ़ैसले के बाद ये संख्या 22 से बढ़कर कई गुना हो जाएगी. ये नाम कॉरपोरेट ब्रांड और उद्योगों पर आधारित होंगे या फिर पहले से प्रचलित डॉट-कॉम, डॉट-ऑर्ग की तर्ज पर भी हो सकते हैं.

नए डोमेन नेम आने के बाद डॉट-गूगल, डॉट-कोक या डॉट-बीबीसी जैसे नाम प्रचलन में आ सकते हैं. लेकिन इनका आवेदन देने के लिए ही आपको 200,000 डॉलर खर्च करने पड़ेंगे. इसके अलावा कंपनियों को ये दिखाना होगा कि जिस डोमेन नाम के लिए वे अर्ज़ी डाल रहे हैं उस कंपनी पर वैधानिक दावा है.

आईकैन के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी रॉड बेकस्ट्रॉम ने कहा है, हमने इंटरनेट ऐड्रेस सिस्टम की अपार संभावनाएँ खोल दी हैं, आप जो चाहें कल्पना कर सकते हैं. प्रावधानों के तहत नए इंटरनेट पते किसी भी भाषा में हो सकते हैं. आईकैन अगले साल से अर्ज़ियाँ लेना शुरु करेगा.
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डी.एक्स.अंजलि पत्रिका का विमोचन



रायपुर / अहिंसा रेडियो श्रोता संघ  द्वारा  प्रकाशित डी.एक्स.अंजलि पत्रिका  का विमोचन राज्य भंडार गृह निगम के अध्यक्ष श्री अशोक बजाज ने  किया . यह पत्रिका आकाशवाणी रायपुर की गतिविधियों पर आधारित है . इस अवसर पर मुख्य रुप से  श्री गिरीश राज  डायरेक्टर ऑफ इंडियन न्यूज सर्विस, श्री श्याम वर्मा उद्घोषक आकाशवाणी,रायपुर , श्री झावेन्द्र कुमार ध्रुव,संपादक डी. एक्स. अंजलि , श्री रमेश कुमार यादव सिमगा , श्री ललित साहू रनचिरई ,  श्री संजय साहू पोटियाकला दुर्ग,श्री मोहन लाल देंवागन कटोरा तालाब रायपुर , श्री परस राम साहू कुम्हारी दुर्ग,श्री रतन जैन मौदहा पारा , श्री विनोद वंडलकर रायपुर एवं भारी संख्या में  रेडियो श्रोता उपस्थित थे. श्री बजाज ने उपस्थित श्रोताओं को संबोधित करते हुए कहा कि यह पत्रिका रेडियो श्रोताओं के लिए बहुत उपयोगी है ,उन्होंने डी.एक्स.अंजलि पत्रिका के संपादक श्री झावेन्द्र कुमार ध्रुव एवं उनकी पूरी टीम को बधाई देते हुए कहा कि इस पत्रिका का प्रकाशन इसी तरह निरंतर जरी रहना चाहिए .  आकाशवाणी रायपुर के वरिष्ठ  एनाउंसर  श्री श्याम वर्मा  ने  अहिंसा रेडियो श्रोता संघ को लगातार चौथे वर्ष आकाशवाणी रायपुर पर केन्द्रित इस पत्रिका के लिए धन्यवाद दिया .

17 जून 2011

छत्तीसगढ़ में आंशिक नशाबंदी

त्तीसगढ़ में आंशिक नशाबंदी लागू होने पर छत्तीसगढ़ राज्य बेवरेजेस कॉर्पोरेशन लिमिटेड एवं संकल्प सांस्कृतिक समिति रायपुर के संयुक्त तत्वाधान में शुक्रवार १६ जून २०११ को शहीद स्मारक भवन रायपुर में आभार एवं अभिनंदन समारोह आयोजित किया गया . इस अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने  नशामुक्ति जन-जागरण अभियान में सराहनीय भूमिका के लिए अनेक संस्थाओं के प्रतिनिधियों को सम्मानित किया . उन्होंने शराब बंदी के अभियान में सक्रिय सहयोग दे रहे समस्त जनप्रतिनिधियों, पंचायत प्रतिनिधियों, समाज सेवी संगठनों और महिला संगठनों का भी आभार माना है . कार्यक्रम का संचालन संकल्प संस्था के प्रमुख श्री चुन्नीलाल शर्मा ने किया . आज के आयोजन में उनकी सराहनीय भूमिका थी. 

समारोह में मुख्यमंत्री के हाथों सम्मानित हुए लोगों में राज्य बेवरेजेस कार्पोरेशन के अध्यक्ष श्री देवजी भाई पटेल, राज्य भण्डार गृह निगम के  अध्यक्ष श्री अशोक बजाज, पूर्व मंत्री डॉ. रामचन्द्र सिंहदेव, राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम अध्यक्ष श्री श्याम बैस, संकल्प सांस्कृतिक समिति के अध्यक्ष श्री अशोक चौधरी, प्रजापिता ब्रम्हकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की सरिता बहन और सचिव आबकारी श्री गणेश शंकर मिश्र भी शामिल थे .मुख्यमंत्री ने इनके अलावा अन्य अनेक संस्थाओं को भी प्रशस्ति-पत्र भेंटकर सम्मानित किया .

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में सभी शराब दुकानों को एक साथ बंद करने में आ रही व्यावहारिक  कठिनाइयों को देखते हुए सरकार ने इसे  चरणबध्द तरीके से  बंद करने का निर्णय लिया  है.  उन्होंने कहा कि शराबबंदी के साइड इफेक्ट के रूप में अक्सर अवैध और जहरीली शराब के प्रकरण भी देश के कई राज्यों में सामने आते रहे हैं. इसे देखते हुए छत्तीसगढ़ सरकार ने पूरी सावधानी और सतर्कता के साथ प्रदेश में शराबबंदी लागू करने की ओर कदम बढ़ाया है . शराब की तस्करी रोकने और सार्वजनिक स्थानों पर शराबखोरी पर अंकुश लगाने के लिए भी कठोर कदम उठाए गए हैं . इस कार्य में जनता और जन-प्रतिनिधियों, समाजसेवी संगठनों और महिला संगठनों का भी सहयोग लिया जा रहा है . मुख्यमंत्री ने डॉ. रामचन्द्र सिंहदेव के अध्यक्षीय उदबोधन पर अपनी सहमति व्यक्त करते हुए कहा कि वास्तव में तमिलनाडु में तो अकेले शराब से ही लगभग दस हजार करोड़ रूपए का आबकारी राजस्व वहां की सरकार को मिलता है . इसी तरह कई अन्य राज्यों में वहां के राजस्व का काफी बड़ा हिस्सा आबकारी से ही आता है . लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार ने शराब के राजस्व का नुकसान सहकर भी राज्य में नशाबंदी लागू करने की मानसिकता बनाकर इसका संकल्प भी लिया है .  मुख्यमंत्री ने कहा कि नशा मुक्त समाज बनाकर ही हम एक स्वस्थ समाज का निर्माण कर सकते हैं .उन्होंने कहा कि  शिशु मृत्यु दर, मातृ मृत्यु दर कम करने, कैंसर, एड्स आदि गंभीर बीमारियों से लोगों के जीवन की रक्षा करने और एक स्वस्थ सामाजिक वातावरण निर्माण में शराबबंदी की अहम भूमिका होगी.

हम आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ सरकार ने 1 अप्रेल 2011 से 2000 की आबादी वाले गाँवों की शराब दूकानों को एक झटके में बंद कर दिया है . उस समय हमने कहा था  ......... 
छत्तीसगढ़ राज्य भण्डार गृह निगम के अध्यक्ष श्री अशोक बजाज ने मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व में प्रदेश सरकार द्वारा नशा मुक्त छत्तीसगढ़ निर्माण के लिए पहले कदम के रूप में दो हजार से कम जनसंख्या वाले गांवों में शराब की 250 दुकानों को बंद करने के निर्णय का स्वागत किया है .श्री बजाज ने इस महत्वपूर्ण फैसले के लिए मुख्यमंत्री को बधाई दी है और कहा है कि उनके इस निर्णय से राज्य को 'स्वस्थ और समृध्द छत्तीसगढ़' के रूप में विकसित करने का मार्ग आसान हो जाएगा .श्री बजाज ने यह भी कहा कि रमन सरकार का यह निर्णय राज्य और समाज को नशे की गिरफ्त से बचाने की दिशा में एक ठोस कदम है.  उन्होंने कहा कि नशे की सामाजिक बुराई पर अंकुश लगाने की राज्य सरकार की मंशा को सफल बनाने के लिए प्रदेशवासियों को भी आगे आना होगा. श्री बजाज ने रायपुर जिले में ' नशा हे खराब-झन पीहू शराब ' के अपने लोकप्रिय नारे का उल्लेख करते हुए कहा कि इस नारे के साथ जिले में शराब के खिलाफ जन-जागरण का उनका अभियान आगे भी जारी रहेगा .







16 जून 2011

कबीरदास की साखियाँ


संत कबीरदास जी कवि व क्रांतिकारी समाज सुधारक थे.उन्होंने अपने काव्य में  सामाजिक कुरीतियों और धार्मिक आडम्बरों के खिलाफ काफी  कटाक्ष किया है .कबीर का जन्म 1297 में ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन हुआ ,वे निडर और खरा खरा बोलने वाले कवि थे. उनके जन्म दिन पर उनकी लिखी साखियाँ प्रस्तुत है ----- 

दुख में सुमरिन सब करे, सुख मे करे न कोय । जो सुख मे सुमरिन करे, दुख काहे को होय ॥ 1 ॥
तिनका कबहुँ न निंदिये, जो पाँयन तर होय  । कबहुँ उड़ आँखिन परे, पीर घनेरी होय ॥ 2 ॥
माला फेरत जुग भया, फिरा न मन का फेर  । कर का मन का डार दें, मन का मनका फेर ॥ 3 ॥
गुरु  गोविन्द  दोनों  खड़े, काके लागूं पाँय     ।  बलिहारी गुरु आपनो, गोविंद दियो बताय ॥ 4 ॥
बलिहारी  गुरु आपनो, घड़ी-घड़ी सौ सौ बार । मानुष से देवत किया करत न लागी बार ॥ 5 ॥
कबिरा   माला मनहि की, और संसारी भीख । माला फेरे हरि मिले, गले रहट के देख ॥ 6 ॥
सुख मे सुमिरन ना किया दु:ख में किया याद । कह कबीर ता दास की, कौन सुने फरियाद ॥ 7 ॥
साईं इतना  दीजिये, जा  मे कुटुम  समाय । मैं भी भूखा न रहूँ, साधु ना भूखा जाय ॥ 8 ॥
लूट सके  तो लूट  ले, राम  नाम   की  लूट । पाछे फिरे पछताओगे, प्राण जाहिं जब छूट ॥ 9 ॥
जाति न पूछो साधु की, पूछि लीजिए ज्ञान । मोल करो तलवार का, पड़ा रहन दो म्यान ॥ 10 ॥
जहाँ दया तहाँ धर्म है, जहाँ लोभ तहाँ पाप । जहाँ क्रोध तहाँ पाप है, जहाँ क्षमा तहाँ आप ॥ 11 ॥
धीरे - धीरे  रे  मना ,  धीरे सब कुछ होय । माली सींचे सौ घड़ा, ॠतु आए फल होय ॥ 12 ॥
कबीरा ते नर अन्ध है, गुरु को कहते और । हरि रूठे गुरु ठौर है, गुरु रुठै नहीं ठौर ॥ 13 ॥
पाँच पहर धन्धे गया, तीन पहर गया सोय । एक पहर हरि नाम बिन, मुक्ति कैसे होय ॥ 14 ॥
कबीरा सोया क्या करे, उठि न भजे भगवान । जम जब घर ले जायेंगे, पड़ी रहेगी म्यान ॥ 15 ॥
शीलवन्त सबसे बड़ा, सब रतनन की खान । तीन लोक की सम्पदा, रही शील में आन ॥ 16 ॥
माया मरी न मन मरा, मर-मर गए शरीर । आशा तृष्णा न मरी, कह गए दास कबीर ॥ 17 ॥
माटी कहे कुम्हार से, तु क्या रौंदे मोय । एक दिन ऐसा आएगा, मैं रौंदूंगी तोय ॥ 18 ॥
रात गंवाई सोय के, दिवस गंवाया खाय । हीना जन्म अनमोल था, कोड़ी बदले जाय ॥ 19 ॥
नींद निशानी मौत की, उठ कबीरा जाग । और रसायन छांड़ि के, नाम रसायन लाग ॥ 20 ॥
जो तोकु कांटा बुवे, ताहि बोय तू फूल । तोकू फूल के फूल है, बाकू है त्रिशूल ॥ 21 ॥
दुर्लभ मानुष जन्म है, देह न बारम्बार । तरुवर ज्यों पत्ती झड़े, बहुरि न लागे डार ॥ 22 ॥
आय हैं सो जाएँगे, राजा रंक फकीर । एक सिंहासन चढ़ि चले, एक बँधे जात जंजीर ॥ 23 ॥
काल करे सो आज कर, आज करे सो अब । पल में प्रलय होएगी, बहुरि करेगा कब ॥ 24 ॥
माँगन मरण समान है, मति माँगो कोई भीख । माँगन से तो मरना भला, यह सतगुरु की सीख ॥ 25 ॥
जहाँ आपा तहाँ आपदां, जहाँ संशय तहाँ रोग । कह कबीर यह क्यों मिटे, चारों धीरज रोग ॥ 26 ॥
माया छाया एक सी, बिरला जाने कोय । भगता के पीछे लगे, सम्मुख भागे सोय ॥ 27 ॥
आया था किस काम को, तु सोया चादर तान ।सुरत सम्भाल ए गाफिल, अपना आप पहचान ॥ 28 ॥
क्या भरोसा देह का, बिनस जात छिन मांह । साँस-सांस सुमिरन करो और यतन कुछ नांह ॥ 29 ॥
गारी ही सों ऊपजे, कलह कष्ट और मींच । हारि चले सो साधु है, लागि चले सो नींच ॥ 30 ॥
दुर्बल को न सताइए, जाकि मोटी हाय । बिना जीव की हाय से, लोहा भस्म हो जाय ॥ 31 ॥
दान दिए धन ना घते, नदी ने घटे नीर । अपनी आँखों देख लो, यों क्या कहे कबीर ॥ 32 ॥
दस द्वारे का पिंजरा, तामे पंछी का कौन । रहे को अचरज है, गए अचम्भा कौन ॥ 33 ॥
ऐसी वाणी बोलेए, मन का आपा खोय । औरन को शीतल करे, आपहु शीतल होय ॥ 34 ॥
हीरा वहाँ न खोलिये, जहाँ कुंजड़ों की हाट । बांधो चुप की पोटरी, लागहु अपनी बाट ॥ 35 ॥
कुटिल वचन सबसे बुरा, जारि कर तन हार । साधु वचन जल रूप, बरसे अमृत धार ॥ 36 ॥
जग में बैरी कोई नहीं, जो मन शीतल होय । यह आपा तो ड़ाल दे, दया करे सब कोय ॥ 37 ॥
मैं रोऊँ जब जगत को, मोको रोवे न होय । मोको रोबे सोचना, जो शब्द बोय की होय ॥ 38 ॥
सोवा साधु जगाइए, करे नाम का जाप । यह तीनों सोते भले, साकित सिंह और साँप ॥ 39 ॥
अवगुन कहूँ शराब का, आपा अहमक साथ । मानुष से पशुआ करे दाय, गाँठ से खात ॥ 40 ॥
बाजीगर का बांदरा, ऐसा जीव मन के साथ । नाना नाच दिखाय कर, राखे अपने साथ ॥ 41 ॥
अटकी भाल शरीर में तीर रहा है टूट । चुम्बक बिना निकले नहीं कोटि पटन को फ़ूट ॥ 42 ॥
कबीरा जपना काठ की, क्या दिख्लावे मोय । ह्रदय नाम न जपेगा, यह जपनी क्या होय ॥ 43 ॥
पतिवृता मैली, काली कुचल कुरूप । पतिवृता के रूप पर, वारो कोटि सरूप ॥ 44 ॥
बैध मुआ रोगी मुआ, मुआ सकल संसार । एक कबीरा ना मुआ, जेहि के राम अधार ॥ 45 ॥
हर चाले तो मानव, बेहद चले सो साध । हद बेहद दोनों तजे, ताको भता अगाध ॥ 46 ॥
राम रहे बन भीतरे गुरु की पूजा ना आस । रहे कबीर पाखण्ड सब, झूठे सदा निराश ॥ 47 ॥
जाके जिव्या बन्धन नहीं, ह्र्दय में नहीं साँच । वाके संग न लागिये, खाले वटिया काँच ॥ 48 ॥
तीरथ गये ते एक फल, सन्त मिले फल चार । सत्गुरु मिले अनेक फल, कहें कबीर विचार ॥ 49 ॥
सुमरण से मन लाइए, जैसे पानी बिन मीन । प्राण तजे बिन बिछड़े, सन्त कबीर कह दीन ॥ 50 ॥
समझाये समझे नहीं, पर के साथ बिकाय । मैं खींचत हूँ आपके, तू चला जमपुर जाए ॥ 51 ॥ 
हंसा मोती विण्न्या, कुञ्च्न थार भराय । जो जन मार्ग न जाने, सो तिस कहा कराय ॥ 52 ॥
कहना सो कह दिया, अब कुछ कहा न जाय । एक रहा दूजा गया, दरिया लहर समाय ॥ 53 ॥
वस्तु है ग्राहक नहीं, वस्तु सागर अनमोल । बिना करम का मानव, फिरैं डांवाडोल ॥ 54 ॥
कली खोटा जग आंधरा, शब्द न माने कोय । चाहे कहँ सत आइना, जो जग बैरी होय ॥ 55 ॥
कामी, क्रोधी, लालची, इनसे भक्ति न होय । भक्ति करे कोइ सूरमा, जाति वरन कुल खोय ॥ 56 ॥
जागन में सोवन करे, साधन में लौ लाय । सूरत डोर लागी रहे, तार टूट नाहिं जाय ॥ 57 ॥
साधु ऐसा चहिए ,जैसा सूप सुभाय । सार-सार को गहि रहे, थोथ देइ उड़ाय ॥ 58 ॥
लगी लग्न छूटे नाहिं, जीभ चोंच जरि जाय । मीठा कहा अंगार में, जाहि चकोर चबाय ॥ 59 ॥
भक्ति गेंद चौगान की, भावे कोई ले जाय । कह कबीर कुछ भेद नाहिं, कहां रंक कहां राय ॥ 60 ॥
घट का परदा खोलकर, सन्मुख दे दीदार । बाल सनेही सांइयाँ, आवा अन्त का यार ॥ 61 ॥
अन्तर्यामी एक तुम, आत्मा के आधार । जो तुम छोड़ो हाथ तो, कौन उतारे पार ॥ 62 ॥
मैं अपराधी जन्म का, नख-सिख भरा विकार । तुम दाता दु:ख भंजना, मेरी करो सम्हार ॥ 63 ॥
प्रेम न बड़ी ऊपजै, प्रेम न हाट बिकाय । राजा-प्रजा जोहि रुचें, शीश देई ले जाय ॥ 64 ॥
प्रेम प्याला जो पिये, शीश दक्षिणा देय । लोभी शीश न दे सके, नाम प्रेम का लेय ॥ 65 ॥
सुमिरन में मन लाइए, जैसे नाद कुरंग । कहैं कबीर बिसरे नहीं, प्रान तजे तेहि संग ॥ 66 ॥
सुमरित सुरत जगाय कर, मुख के कछु न बोल । बाहर का पट बन्द कर, अन्दर का पट खोल ॥ 67 ॥
छीर रूप सतनाम है, नीर रूप व्यवहार । हंस रूप कोई साधु है, सत का छाननहार ॥ 68 ॥
ज्यों तिल मांही तेल है, ज्यों चकमक में आग । तेरा सांई तुझमें, बस जाग सके तो जाग ॥ 69 ॥
जा करण जग ढ़ूँढ़िया, सो तो घट ही मांहि । परदा दिया भरम का, ताते सूझे नाहिं ॥ 70
जबही नाम हिरदे घरा, भया पाप का नाश । मानो चिंगरी आग की, परी पुरानी घास ॥ 71 ॥
नहीं शीतल है चन्द्रमा, हिंम नहीं शीतल होय । कबीरा शीतल सन्त जन, नाम सनेही सोय ॥ 72 ॥
आहार करे मन भावता, इंदी किए स्वाद । नाक तलक पूरन भरे, तो का कहिए प्रसाद ॥ 73 ॥
जब लग नाता जगत का, तब लग भक्ति न होय । नाता तोड़े हरि भजे, भगत कहावें सोय ॥ 74 ॥
जल ज्यों प्यारा माहरी, लोभी प्यारा दाम । माता प्यारा बारका, भगति प्यारा नाम ॥ 75 ॥
दिल का मरहम ना मिला, जो मिला सो गर्जी । कह कबीर आसमान फटा, क्योंकर सीवे दर्जी ॥ 76 ॥
बानी से पह्चानिये, साम चोर की घात । अन्दर की करनी से सब, निकले मुँह कई बात ॥ 77 ॥
जब लगि भगति सकाम है, तब लग निष्फल सेव । कह कबीर वह क्यों मिले, निष्कामी तज देव ॥ 78 ॥
फूटी आँख विवेक की, लखे ना सन्त असन्त । जाके संग दस-बीस हैं, ताको नाम महन्त ॥ 79 ॥
दाया भाव ह्र्दय नहीं, ज्ञान थके बेहद । ते नर नरक ही जायेंगे, सुनि-सुनि साखी शब्द ॥ 80 ॥
दाया कौन पर कीजिये, का पर निर्दय होय । सांई के सब जीव है, कीरी कुंजर दोय ॥ 81 ॥
जब मैं था तब गुरु नहीं, अब गुरु हैं मैं नाय । प्रेम गली अति साँकरी, ता मे दो न समाय ॥ 82 ॥
छिन ही चढ़े छिन ही उतरे, सो तो प्रेम न होय । अघट प्रेम पिंजरे बसे, प्रेम कहावे सोय ॥ 83 ॥
जहाँ काम तहाँ नाम नहिं, जहाँ नाम नहिं वहाँ काम । दोनों कबहूँ नहिं मिले, रवि रजनी इक धाम ॥ 84 ॥
कबीरा धीरज के धरे, हाथी मन भर खाय । टूट एक के कारने, स्वान घरै घर जाय ॥ 85 ॥
ऊँचे पानी न टिके, नीचे ही ठहराय । नीचा हो सो भरिए पिए, ऊँचा प्यासा जाय ॥ 86 ॥
सबते लघुताई भली, लघुता ते सब होय । जौसे दूज का चन्द्रमा, शीश नवे सब कोय ॥ 87 ॥
संत ही में सत बांटई, रोटी में ते टूक । कहे कबीर ता दास को, कबहूँ न आवे चूक ॥ 88 ॥
मार्ग चलते जो गिरा, ताकों नाहि दोष । यह कबिरा बैठा रहे, तो सिर करड़े दोष ॥ 89 ॥
जब ही नाम ह्रदय धरयो, भयो पाप का नाश । मानो चिनगी अग्नि की, परि पुरानी घास ॥ 90 ॥
काया काठी काल घुन, जतन-जतन सो खाय । काया वैध ईश बस, मर्म न काहू पाय ॥ 91 ॥
सुख सागर का शील है, कोई न पावे थाह । शब्द बिना साधु नही, द्रव्य बिना नहीं शाह ॥ 92 ॥
बाहर क्या दिखलाए, अनन्तर जपिए राम । कहा काज संसार से, तुझे धनी से काम ॥ 93 ॥
फल कारण सेवा करे, करे न मन से काम । कहे कबीर सेवक नहीं, चहै चौगुना दाम ॥ 94
तेरा साँई तुझमें, ज्यों पहुपन में बास । कस्तूरी का हिरन ज्यों, फिर-फिर ढ़ूँढ़त घास ॥ 95 ॥
कथा-कीर्तन कुल विशे, भवसागर की नाव । कहत कबीरा या जगत में नाहि और उपाव ॥ 96 ॥
कबिरा यह तन जात है, सके तो ठौर लगा । कै सेवा कर साधु की, कै गोविंद गुन गा ॥ 97 ॥
तन बोहत मन काग है, लक्ष योजन उड़ जाय । कबहु के धर्म अगम दयी, कबहुं गगन समाय ॥ 98 ॥
जहँ गाहक ता हूँ नहीं, जहाँ मैं गाहक नाँय । मूरख यह भरमत फिरे, पकड़ शब्द की छाँय ॥ 99 ॥
कहता तो बहुत मिला, गहता मिला न कोय । सो कहता वह जान दे, जो नहिं गहता होय ॥ 100 ॥ 


       
                        


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