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15 सितंबर 2010

ऐसी दीवानगी देखी नही कहीं ...................


रायपुर`जिले में स्कूली बच्चों के लिए चलाया जा रहा है पर्यावरण जागरूकता अभियान पूरे शबाब पर है, इस कार्यक्रम से पर्यावरण के प्रति बच्चों के मन में अभूतपूर्व प्रेम जागृत हो रहा है .स्कूली बच्चो के जबर्दस्त उत्साह को देखते हुए मुझे स्वंय कार्यक्रमों में जाने की प्रेरणा मिल रही है फलस्वरूप अधिकांश कार्यक्रमों में मैं स्वयं जा रहा हूं .कार्यक्रमों में बच्चो का उत्साह देखते ही बनता है.मैने अपने जीवन में इतना उत्साहजनक कार्यक्रम कभी नही देखा।ऐसा प्रतीत होता है कि इस जागरूकता कार्यक्रम ने अब आन्दोलन का रूप ले लिया है जिसे सतत चलाना आवश्यक हो गया है .निश्चित रूप से इस अभियान के माध्यम से एक ना एक दिन जरुर "पर्यावरण क्रांति"आयेगी। आज के कार्यक्रम में उत्साह को देखकर अनायास ही गुनगुनाना पड़ा--“ऐसी दीवानगी देखी नहीं कहीं......”।




 पर्यावरण जागरूकता अभियान के अन्तर्गत आज शासकीय हरिहर उच्चतर माध्यमिक शाला नवापारा में २००० तथा शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला राजिम में 1000 रूकूली बच्चों ने पर्यावरण बचाने का संकल्प लिया । दिनांक 28.08.2010 से चल रहे इस अभियान के अन्तर्गत अब तक 24 स्कूलो में  कार्यक्रम सम्पन्न  हो चुके है जिसमे 111 स्कूलो के लगभग 12500 स्कूली बच्चें संकल्प ले चुके है ।

हरिभूमि  रायपुर 04-09-2010
 अब तक मानाबस्ती,डूमरतराई,संजय नगर,मठपुरैना,रायपुरा,रविशंकर परिसर,चौबे कालोनी,तिलक  नगर,भनपुरी,बीरगांव,गोवर्नमेंट स्कूल,दानी गर्ल्स स्कूल,शांतिनगर,हिन्दू हाईस्कूल,मांढ़रबस्ती,सिलयारी,सारागांव,दौंदेकला,अभनपुर,खोरपा,उपरवारा, तामासिवनी, नवापारा एवं  राजिम के स्कूलो में कार्यक्रम संपन्न हो चुकें है ।


ध्यानमग्न हो कर शिक्षा ग्रहण करते स्कूली बच्चें


12 सितंबर 2010

पर्यावरण की सुरक्षा के लिए बच्चों के नाम ख़त ....

बच्चों के नाम ख़त.. 

प्यारे बच्चों , 

                जयहिंद

यह पत्र मै ऐसे समय में लिख रहा हूँ जब पूरी दुनिया ग्लोबल वार्मिंग (वैश्विक तापमान में बढ़ोतरी ) से चिंतित है . मनुष्य स्वभाव-गत कारणों से जल एवं उर्जा का अपव्यय करता है , इस छोटी उम्र में तुम जल एवं उर्जा की बचत की ओर ध्यान दोगे तो भविष्य में कठिनाई नहीं होगी . हमें पर्यावरण की सुरक्षा के लिए न केवल पेड़ लगाना है बल्कि पेड़ों को बचाना  भी है .हम अपने सुखद भविष्य के लिए आज से ही चिंतन करें .  यदि मेरी बात अच्छी लगे  तो  सबको  बताना और मेरे ख़त  का जवाब देना  .                                    शुभकामनाओं सहित .......

      12-9-2010                                                                    अशोक बजाज   
                                                                                             
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11 सितंबर 2010

श्री गणेश चतुर्थी ,तीज और ईद की त्रिवेणी

   भारत भूमि पर प्रेम , विश्वास और श्रध्दा की त्रिवेणी

ज गणेश चतुर्थी का पावन पर्व है , आज तीज भी है, यह सुहागनों के कठोर व्रत का पर्व है .जिन सुहागनों ने कल तीज का पर्व मनाया वे आज व्रत तोड़ेंगी .कुछ महिलाएं आज व्रत रख रहीं है .सभी सुहागनों को बधाई .

आज गणेश जी की भी स्थापना होने वाली है,पूरे ग्यारह दिन तक गणेशोत्सव की धूम रहेगी .कोई गली मोहल्ला ऐसा नहीं है ,जहाँ श्री गणेश जी की मूर्ति ना स्थापित होती हो .हमको भी बचपन में मूर्ति स्थापना का शौंक चढ़ गया था . उस समय मेरी उम्र १०-११ साल की रही होगी , शहर से गणेश की मूर्ति मँगा कर बिना किसी तामझाम के दीवार की आँट (पठेरा )में स्थापित किया था .आँट की ऊंचाई मुश्किल से डेढ़ दो फीट रही होगी ,एक दिन एक बुजुर्ग से व्यक्ति ने हमसे सवाल किया---चार हाँथ के गनेस एक हाँथ के पठेरा मा कईसे हमा जाथें . यानी चार हाथ के गणेश जी एक हाँथ की उचाई वाले आँट यानी पठेरा में कैसे समा जाते है ,सवाल बड़ा सहज था लेकिन सवाल समझने में उस समय थोडा वक्त लगा था .आज के दिन चाँद देखने की मनाही थी,कहते थे आज के दिन चाँद देखने से दोष लगता है ,दोष मिटाने के लिए दूसरे लोगो के घरों में तब तक पत्थर फेंकते थे , जब तक कि उस घर के महिला की गाली नहीं पड़ती थी . लोग कहते थे कि गाली खाने से दोष मिट जाता है . 

आज ईद भी है , ईद की हमने एक दिन पहले ही बधाई दे दी थी ,आप सबको गणेश चतुर्थी ,तीज एवं ईद की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं  ! त्योहारों की इस त्रिवेणी के साथ साथ भारत भूमि पर प्रेम , विश्वास और श्रध्दा की त्रिवेणी भी बहेगी . 

शांत मुद्रा में गणेश जी 
वक्रतुंड   महाकाय  सूर्यकोटि समप्रभ:।
निर्विध्नं कुरु मे देव,सर्वकार्येषु सर्वदा॥

10 सितंबर 2010

चाँद का दीदार

ईद मुबारक

ज ईद है,चाँद नहीं दिखा इसलिए ईद का पर्व 11  सितम्बर को मनाने का ऐलान किया गया है,  ईद के अवसर पर गूगल से चाँद की बहुत ही प्यारी एवं मनमोहक तस्वीर प्राप्त हुई है,आइये इस तस्वीर से चाँद का दीदार करें. आप सबको ईद मुबारक, बहुत बहुत बधाई.

जल  में सूर्य व चद्रमा दोनों का प्रतिबिम्ब दिखाई दे रहा  है ,छायाकार के सोंच और परिश्रम की दाद देनी होगी .   

09 सितंबर 2010

शार्ट-कॅट का जमाना और 8,9,10 का योग



शार्ट-कॅट का जमाना और 8,9,10 का योग


भागमभाग के इस युग में समय और श्रम बचाने की अच्छी प्रवृति  का चलन हो गया है । अपनी बात को संकेतो या प्रतीको के माध्यम से व्यक्त करने का युग आ गया है। आज हर व्यक्ति व्यस्त है, अति व्यस्त है इसीलिए उसे इतनी फुरसत नही है कि अपनी बात पूरी तरह स्पष्ट करे। वह एक वाक्य या एक शब्द या एक अक्षर में ही पूरी बात कह देना चाहता है। भारत में ॐ एक  अक्षर है इसमें पूरी बात स्पष्ट हो जाती है। इसके लिय  " ओम " लिखने की जरूरत नही है। अभी अभी सरकार ने रूपिये के सांकेतिक अक्षर को मान्यता दी है अब रू लिख देने मात्र से रूपिये का अर्थ निकल आता है ।

मोबाइल  या ई-मेल से जो संदेशो का आदान प्रदान होता है उसमें भी केवल अक्षरो से काम चालाया जाता है मसलन यदि YOUलिखना है तो U लिख दिया जाता है, इसी प्रकार PLEASE के लिए PLZ , TO के लिए 2 , JEE  के लिए G , I AM  की जगह I'M , I CAN NOT  की जगह I,CAN'T आदि आदि शब्दो का इस्तेमाल हो रहा है ।

 मैसेज भेजने वाले और पाने वाले दोनो समझ जाते है। जैसे किसी ने दिवाली का बधाई संदेश भेजा तो जवाब में लिखा जाता है SAME TO YOU  , इससे अर्थ उभर जाता है कि आपको भी दीपावली की बधाई। मात्र 6 अक्षरो मे पूरा सेदेश भेज दिया जाता है । यदि इस संदेश को रोमन लिपि में लिखा जाय तो लिखना पड़ेगा AAPAKO BHEE DEEWALI KEE BADHAI  , यानी 26 अक्षरो का इस्तेमाल करना पड़ेगा। जबकी SAME 2 U यानी 6 अक्षरो से संदेश पूरा हो जाता है।

मोर्स कोर्ड टेलीग्राफ
जब मोबाइल और इंटरनेट नही आया था तब तार भेजना पड़ता था । जन्म, मृत्यु या त्योहारों का बधाई संदेश भेजने के लिए डाकघरो में इतनी भीड़ लगी रहती थी कि  घंटो लाईन लगाना पड़ता था। डाकतार विभाग सदेशों  का हस्तांतरण करने के लिए अंको का भी इस्तेमाल करता था। मसलन “दिपावली की हार्दिक शुभकामनाएं” के लिए 1 नम्बर निर्धारित था,ईद   के लिए 2 , आदि आदि ।इससे पैसे की बचत होती थी ।तार संदेश प्राप्त करने वाला डाकघर उस अंक के अधार पर तार प्राप्त करने वाले को पूरा संदेश लिखकर भेजते थे । कभी कभी वे पूरा सेदेश लिखने के बजाय केवल अंक लिखकर भेज देते है।


                               8-9-10  ( 8 सितम्बर 2010 )
तिथि लिखने के लिए भी संकेतो का सहारा लिया जाता है जैसे 8 सितम्बर 2010 लिखना है तो केवल 8-9-10 लिखने की परम्परा है । अंको के बड़ते क्रम का विचित्र संयोग है। ऐसा रोज नही होता बल्कि सौ साल में केवल 11 दिन ही ऐसे है जब ऐसा योग बनता है। वर्तमान शताब्दी में 1 फरवरी 2003 यानी 1 -2 -3, 2 मार्च 2004 यानी 2 -3-4, 3 अप्रेल 2005 यानी 3-4-5, 4 मई 2006 यानी 4-5-6, 5 जून 2007 यानी 5-6-7, 6 जुलाई 2008 यानी 6-7-8, 7 अगस्त 2009 यानी 7-8-9, और अभी 8 सितम्बर 2010 यानी 8-9-10, । आगे सन् 2011, 2012 एवं 2013 में भी ऐसा योग बनेगा।00204 PHOTO BY GOOGLE