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29 जुलाई 2011

मेरी नेपाल यात्रा ( आठवीं किश्त )

हिमालय पर्वतमाला की वादियों में बसे प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण पावन धरा नेपाल  में 9 जुलाई से 12 जुलाई 2011 को आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय  सहकारी सेमीनार में भाग लेने का अवसर मिला.इस सेमीनार का आयोजन राष्ट्रीय सहकारी बैंक प्रबंधन एवं प्रशिक्षण संस्थान बैंगलोर ने किया था . इन चार दिनों में नेपाल की प्रकृति, संस्कृति, रहन सहन, वेशभूषा, कृषि, पर्यटन एवं धर्म सम्बंधी अनेक जानकारी हमें मिली. नेपाल सांवैधानिक दृष्टि से एक अलग राष्ट्र है ; यहाँ का प्रधान, निशान व विधान भारत से अलग है, लेकिन रहन-सहन, बोली-भाषा और वेशभूषा लगभग एक जैसी है .नेपाल हमें स्वदेश जैसा ही प्रतीत हुआ .यह मेरी विदेश-यात्रा थी . नेपाल यात्रा की आठवीं किश्त......


विमान से स्वर्ग यानी सागरमाथा का दर्शन 
 
अंतरिक्ष से ली गई हिमालय की तस्वीर ( गूगल )
 एवरेस्ट यानी सागरमाथा हिमालय की सबसे ऊँची चोटी है . नेपाल - चीन सीमा पर स्थित इस चोटी की ऊंचाई 8848 मीटर यानी 29029 फीट है .हिमालय को प्राचीन काल में स्वर्ग भूमि कहा जाता था . माना जाता है कि  महाराजा इन्द्र भी इसी हिमालय के भू-भाग में निवास करते थे . भगवान  शिव के जीवन के अनेक वृतांत इसी स्वर्ग भूमि हिमालय के साथ जुड़े हैं.गांडीवधारी अर्जुन का इसी हिमालय से विशेष लगाव था . वास्तव में हिमालय ऋषियों-मुनियों व राजाओं की जन्म एवं कर्म भूमि रही  है . अंग्रेजों ने ना जाने कब इस स्वर्ग रूपी सागरमाथा का नाम बदल कर Mt. Averest  कर दिया .


जीवन का अत्यंत ही  अदभूत छन था  जब हम हिमालय के सर्वोच्च शिखर को अपनी आँखों से निहार रहे थे . सहसा विश्वास भी नहीं होता था कि हम प्रकृति के इस अनुपम उपहार को अपनी आँखों से  देख रहे है . सुबह के करीब 8 बजे थे , हिमालय की गोद पूरी तरह बर्फ से आच्छादित है . सूरज की चमकीली किरणें हिमालय की वादियों में आनंद बिखेर रहीं  है . हम सब दुविधा में थे कि इस दृश्य को जी भर कर देंखें या कैमरे में कैद करें . इस अदभूत नज़ारे को देखने और कैमरे में कैद करने के लिए  इस सीट से उस सीट में भागने लगे . एक अवसर ऐसा आया जब हम पायलट की सीट के पास  पहुँच गए और वही से 4-6 शाट लिया . केवल 45  मिनट का वक्त था अतः पल पल कीमती था . पायलट ने बताया कि ये एवरेस्ट है , ये गौरीशंकर है ये मकालू है आदि आदि .हमारा हवाई जहाज चोटी ठीक ऊपर विचरण कर रहा था , मन करता था कि एवरेस्ट को छू लें .सर्वाधिक श्रद्धा का केंद्र था गौरीशंकर एयर होस्टेज  ने बारी बारी  से सबको गौरीशंकर दिखाया , एक सहयात्री ने गौरीशंकर की तस्वीर ली तो उसमें चोटी के साथ ॐ ऊभर आया . क्रमशः 


सुरक्षा जाँच के उपरांत फ्लाईटतक जाने हेतु बस का इंतजार करते हुए
प्लेन के अन्दर की फोटो

प्लेन की खिड़की से एवरेस्ट का नजारा हम यूं देख रहे थे

प्लेन के अन्दर से ली गई तस्वीर
प्लेन के अन्दर से ली गई तस्वीर, प्लेन के धुंएँ  का प्रदुषण भी फ़ैल रहा है
प्लेन के अन्दर से ली गई तस्वीर
प्लेन के पायलेटिंग सीट  की ओर  से ली गई तस्वीर
प्लेन के पायलेटिंग सीट  की ओर  से ली गई तस्वीर
प्लेन के पायलेटिंग सीट  की ओर  से ली गई तस्वीर
प्लेन के पायलेटिंग सीट  की ओर  से ली गई तस्वीर
प्लेन के पायलेटिंग सीट  की ओर  से ली गई तस्वीर
प्लेन के पायलेटिंग सीट  की ओर  से ली गई तस्वीर
प्लेन के अन्दर से ली गई तस्वीर
प्लेन के अन्दर से ली गई तस्वीर
प्लेन के अन्दर से ली गई तस्वीर
पुनः प्लेन के पायलेटिंग सीट  की ओर  से ली गई तस्वीर
पुनः प्लेन के पायलेटिंग सीट  की ओर  से ली गई तस्वीर
 लगभग 45 मिनट की सैर के पश्चात् नीचे उतरते हुए ली गई काठमांडू की तस्वीर . 
 लगभग 45 मिनट की सैर के बाद प्लेन से  नीचे उतरते हुए
प्लेन से उतरते ही मिल गया अखबार का बण्डल




7 टिप्‍पणियां:

SANDEEP PANWAR ने कहा…

प्लेन के अंदर से तो नजारा ही कुछ और दिखा है
जो कि सोचा भी नहीं जा सकता है,
सिर्फ़ अनुभव किया जा सकता है।

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

अद्भुत अकल्पनीय दृश्य देखने मिले।

आभार

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

उन्नत भाल हिमालय अपना।

Rahul Singh ने कहा…

पहले चित्र पर- अंतरिक्ष से ऐसा दृश्‍य संभव नहीं जान पड़ता. बाकी नजारे तो क्‍या कहने.

PRAMOD KUMAR ने कहा…

माउन्ट एवरेस्ट का एसा सजीव चित्रण देखकर मन प्रफुल्लित, रोमांचित एवं आनंदित हो उठा.
जिस प्रकार आप हिमालय के सर्वोच्च शिखर पर पहुंचे उसी प्रकार एक दिन आप राजनितिक कैरियर के भी सर्वोच्च शिखर पर पहुंचे, भगवान पशुपतिनाथ से यही मेरी करबद्ध प्रार्थना है..........!

विवेक रस्तोगी ने कहा…

वाह मजा आ गया, हिमालय को तस्वीरों में देखकर, आप तो खुद अपनी आँखों से देख आये हैं।

pratap ने कहा…

bhai sahab hum logo ne (kirodi,aaditya) bhi is buddha airways ka maja himalay niharne ke liye liya hai.bahut hi achha laga