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02 दिसंबर 2010

बारात लेकर सड़क पर ना निकलें वरना पुलिस बजाएगी बैंड

शहर के मुख्य मार्ग में जब बारात निकलती है तब ट्रेफिक का बड़ा बुरा हाल होता है . वैवाहिक जुलुस के कारण घंटों तक आवाजाही रूक जाती है इससे आम लोग तो परेशान होते ही हैं, कई बार एंबुलेंस, पीसीआर वैन और फायर ब्रिगेड जैसे इमर्जेंसी वाहन भी जाम में फंस जाते हैं. ऐसे में किसी की जान भी जा सकती है. इसी बात को ध्यान में रखते हुए दिल्ली पुलिस ने सड़क पर बारात निकालने वालों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करने का फैसला लिया है . यदि आप दिल्ली की सड़कों पर बारात लेकर निकलना चाहते हैं या किसी बारात में शामिल होना चाहतें है तो कृपया सावधान हो जाइये, यदि बारात पर दिल्ली पुलिस की नजर पड़ गई तो दुल्हे सहित पूरी बारात को शादी के मंडप के बजाय थाने जाना पड़ सकता है.दिल्ली पुलिस एक्ट के प्रावधान के तहत आपके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है.

अब प्रश्न उत्पन्न होता है लोग बारात सडकों पर ना निकालें तो कहाँ निकालें ? भारत में शादी सबसे बड़ा मांगलिक कार्य है , वर-वधु को एक नहीं सात जन्मों तक जोड़ने की यह रस्म है . हर व्यक्ति चाहे वह अमीर हो या गरीब इस पल को अविस्मरनीय बनाना चाहता है ,इस स्थिति में दिल्ली पुलिस अपने प्रयास में सफल हो पायेगी इसमें संदेह है . यह सही है कि बारात के कारण चाहे-अनचाहे हमेशा जाम लग जाता है पर इसके लिए अन्य उपाय भी किये जा सकतें है , जैसे-

(1) उन बारातियों के खिलाफ कार्यवाही की जा सकती है जो शराब पीकर असामान्य हरकतें करके यातायात को बाधित करतें है ;

(2) बारातियों की संख्या को सीमित किया जा सकता है ;

(3) सड़कें निर्धारित की जा सकतीं है ;

(4) समय-सीमा तय की जा सकती है ;

(5) वाहनों की संख्या को सीमित किया जा सकता है ; आदि आदि

19 टिप्‍पणियां:

Satish Saxena ने कहा…

बहुत अच्छा लगा यह लेख ! शुभकामनायें !

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

बारात का मार्ग मुख्य मार्गों से न कर उपमार्गों से ही कर देना ठीक होगा।

ASHOK BAJAJ ने कहा…

@ सतीश सक्सेना,
धन्यवाद ; आपको भी शुभकामनाएं !

ASHOK BAJAJ ने कहा…

@ प्रवीण पाण्डेय,
समस्या तो फिर भी बनी रहेगी ; कुछ और उपाय सुझाएँ , धन्यवाद !

अजित गुप्ता का कोना ने कहा…

बारात निकालना अलग बात है और रास्‍ता जाम करना अलग। बारात निकालने का यह अर्थ नहीं कि सारी सड़क को घण्‍टों जाम कर दोगे। एक तो डांस बिल्‍कुल बन्‍द होने चाहिए और आतिशबाजी भी। दुल्‍हन के दरवाजे पर जाकर खूब नाचो और आतिशबाजी करो, कौन रोकता है? सड़क पर पता नहीं किसे दिखाते हैं? दिल्‍ली पुलिस की अच्‍छी पहल।

ज्ञानचंद मर्मज्ञ ने कहा…

अशोक जी,
आपका सुझाव सही है ! बदलते परिवेश में हमें कुछ तो बदलना ही पड़ेगा !
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ

बेनामी ने कहा…

Delhi police ki yah bahut achchi pahal hai . aam janta ko apni jawabdari ka ehsaas hona chahiye.

ASHOK BAJAJ ने कहा…

@ ajit gupta,

सुझाव के लिए धन्यवाद !

ASHOK BAJAJ ने कहा…

@ ज्ञानचंद मर्मज्ञ,

सुझाव के लिए धन्यवाद !

ASHOK BAJAJ ने कहा…

@ jainanime,

सुझाव के लिए धन्यवाद !

कडुवासच ने कहा…

... vichaarneey samasyaa ... saarthak post !!!

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

विचारणीय पोस्ट। धन्यवाद।

ASHOK BAJAJ ने कहा…

@ 'उदय',

धन्यवाद !

ASHOK BAJAJ ने कहा…

@ परमजीत सिँह बाली,

ਧਨ੍ਯਵਾਦ !

bahujankatha ने कहा…

मेरे मन की बात आपकी चौपाल में देखकर बहुत अच्छा लगा। वर-वधु के सात जन्मों के लिए बांधने के अलावा विवाह दो कुटुम्बों को भी एक दूसरे से जोड़ता है। लेकिन बदलते परिवेश में, जैसा कि पिछली टिप्पिणोयं को देखा, ठीक लगता है। अब यह देखना ज़रूरी होगा कि हमारी बारात दूसरों के लिए कष्टकारी न बने। शेष आपने एक ऐसे मुद्दे को उठाया है जिस पर हमारी राजधानी में अमल होना चाहिए।

बेनामी ने कहा…

bahujankatha ji
aapne is pahal ko rajdhani mein amal karne ka sujhav diya hai jo swagar yogya hai

Rahul Singh ने कहा…

पुलिस और प्रशासन को शांति व्‍यवस्‍था बनाए रखने में ही अपनी काफी उर्जा लगानी पड़ती है.

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') ने कहा…

ekdam sahi... prashasan ko is mudde par sakht rawaiyaa apnani chahiye...

नारायण भूषणिया ने कहा…

बजाज जी ,
आज बहुत मुश्किल से आपके ब्लॉग तक पहुंचा. इंटरनेट एक्स्पोलर के माध्यम से आपका ब्लॉग नहीं खुलता है.आपने बारातों के सड़क पर निकलने वाले मुद्दे पर ध्यानाकर्षित कराया है . राजधानी रायपुर में भी यह एक गंभीर समस्या बन चुकी है. इस पर प्रशासन को ठोस निर्णय लेना चाहिए.समता कालोनी रायपुर में मुख्य मार्ग पर बारात के निकलने को पूर्णत: प्रतिबंधित करके प्रशासन रायपुर में इसकी शुरुवात कर सकता है एवं जन प्रतिक्रियाओं को देख कर अन्य क्षेत्रों में भी इसे लागू करने का प्रयास किया जा सकता है . नारायण भूषणिया