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01 अक्टूबर 2010

देश की जनता ने एकता की मिशाल कायम कर विदेशी मंसूबों पर पानी फेरा


लाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने गुरुवार को अयोध्या के विवादित स्थल को राम जन्मभूमि घोषित किया है.तीन जजों की बेंच के बहुमत से आए फ़ैसले में विवादित ज़मीन को हिंदू,मुसलमान और निर्मोही अखाड़े के बीच, तीन हिस्सों में बांटने का आदेश दिया है.

ईश्वर का शुक्र है कि अदालती निर्णय आने के बाद अब तक भारत में पूरी तरह अमन,चैन और शांति है .देश के नागरिकों ने पूरे धैर्य एवं साहस के साथ राष्ट्रीय एकता का प्रदर्शन किया है ,यह अपने आप में एक मिशाल है .

इससे देश की ताकत मजबूत हुई है .हालाँकि कुछ स्वार्थी तत्वों ने माहौल बिगाड़ने की कोशिश जरूर की लेकिन उन्हें मुहं की खानी पड़ी .आज के माहौल से यह सिद्ध हो गया है कि देश की नई पीढी अमन पसंद है तथा वह देश की एकता को मजबूत करना चाहता है . भारत की तरक्की एवं विकास से इर्षा रखने वाले पडोसी देश एवं अन्य विदेशी ताकतों को आज के शांतिपूर्ण माहौल से निराश होना पड़ा है ,ये चाहते है कि भारत में सदैव अराजकता का माहौल बना रहे तथा भारत कमजोर हो जाये .देश की जनता ने एकता की मिशाल कायम कर इनके मंसूबों पर पानी फेर दिया है .देश की जनता को काबिल-ए-तारीफ भूमिका के लिए साधुवाद .


अहमदाबाद के छोटे छोटे बच्चों का  यह अनुकरणीय प्रदर्शन
फोटो-बी. बी.सी. से साभार   

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14 टिप्‍पणियां:

Asha Joglekar ने कहा…

बिल्कुल सही कहा आपने ।

Mumukshh Ki Rachanain ने कहा…

."देश की जनता ने एकता की मिशाल कायम कर इनके मंसूबों पर पानी फेर दिया है .देश की जनता को काबिल-ए-तारीफ भूमिका के लिए साधुवाद ".

हमारा भी साधुवाद.देश की जनता के लिए..............

चन्द्र मोहन गुप्त

कडुवासच ने कहा…

... saarthak abhivyakti !!!

अल्पना ने कहा…

हार्दिक शुभकामनाएं!

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

सही अवलोकन।

राज भाटिय़ा ने कहा…

आप से सहमत है जी, बहुत सुंदर लेख धन्यवाद

Swarajya karun ने कहा…

राम हो या ईश्वर -अल्ला,ये सभी हमारे दिलों में हैं . इंसान इनके लिए अपने दिल से बाहर जगह क्यों तलाश रहा है ? क्या हम कबीर की इन पंक्तियों को भूल गए -
मुझको कहाँ ढूंढें बंदे, मै तो तेरे पास में
न मंदिर में, न मस्जिद में ,न काबा-कैलाश में !
बहरहाल निश्चित रूप से अदालत ने जितना अच्छा फैसला दिया है. आपका प्रस्तुतिकरण भी उतना ही सराहनीय है .

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

बढ़िया पोस्ट...अदालत का फैसला सर्वजन के हित में आया है... शुभकामनाएं.

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…


सार्थक लेखन के लिए आभार

ब्लॉग4वार्ता पर आपकी पोस्ट की चर्चा है।

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बिलकुल सही कहा ..

JanMit ने कहा…

बिल्कुल सही कहा आपने । आप से सहमत है जी !
इलाहबाद उच्च न्यायलय ने एक परिपक्व एवं न्यायसंगत फैसला ही दिया है ! इसमे जहाँ इतिहास की भूलो व आक्रामकताओ का भी समावेश है वहीँ कट्टरवादी साम्प्रदायिकता का भी ध्यान रखा गया है और पात्रता के अनुरूप स्थानों का भी आवंटन किया गया है !
पूरे देश ने फैसले का स्वागत किया है , सभी को यह मान्य है ! इससे देश की ताकत मजबूत हुई है ! हालाँकि कुछ स्वार्थी तत्वों ने माहौल बिगाड़ने की कोशिश जरूर की लेकिन उन्हें मुहं की खानी पड़ी !
ध्यान दे जिस निर्णय को सम्पूर्ण देश ने स्वीकारा हो उसे ठुकराना न्यायपालिका और देशवासियों का सीधा सीधा अपमान है !

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') ने कहा…

BAHUT BARHIYA POST BHAIYA. AABHAR.

संगीता पुरी ने कहा…

देश की नई पीढी अमन पसंद है तथा वह देश की एकता को मजबूत करना चाहता है
देश की तरक्‍की के लिए यह बहुत बढिया संकेत है !!

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

सुखद अनुभूति..
उम्दा पोस्ट।